कैग की रिपोर्ट में बिहार सरकार को भारी फटकार, 70,877 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न कराने का आरोप
बिहार सरकार को हाल ही में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में कड़ी फटकार झेलनी पड़ी है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार ने अब तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) जमा कराने में विफलता दिखाई है। यह राशि विभिन्न सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार या अन्य स्रोतों से जारी की गई थी, लेकिन इस धनराशि के सही उपयोग का समय पर प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया।
यूसी क्या है और क्यों है जरूरी?
उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) वह दस्तावेज होता है, जिसके माध्यम से संबंधित विभाग यह प्रमाणित करता है कि उसे मिले धन का सही तरीके से उपयोग किया गया है। यूसी न मिलने पर सरकारों को आगे की वित्तीय सहायता मिलने में बाधा आती है। इसके अलावा यह वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कैग रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
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बिहार सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं और विकास परियोजनाओं के लिए करोड़ों रुपये प्राप्त किए, लेकिन इनमें से 70,877.61 करोड़ रुपये के यूसी अब तक जमा नहीं किए गए।
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यह राशि राज्य सरकार द्वारा वित्तीय शासकीय नियमों का उल्लंघन करने का संकेत देती है, जिससे केंद्र सरकार को अपनी अगली किस्त जारी करने में दिक्कत हो सकती है।
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यूसी जमा न करने से धन के दुरुपयोग या अनियमितता की आशंका भी बढ़ जाती है।
सरकार पर असर और संभावित कदम
कैग की यह रिपोर्ट बिहार सरकार के लिए गंभीर चुनौती है। वित्तीय जवाबदेही में इस प्रकार की चूक से जनता के बीच सरकार की छवि प्रभावित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को तत्काल इस मामले में सुधारात्मक कदम उठाने होंगे और उपयोगिता प्रमाणपत्र समय पर प्रस्तुत करने का तंत्र सुदृढ़ करना होगा।
सरकार की ओर से फिलहाल इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन माना जा रहा है कि रिपोर्ट के प्रकाश में वित्त विभाग और संबंधित विभागों को चेतावनी दी जाएगी और यूसी प्रस्तुत करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे।