माता गुजरी मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्जे का आरोप, परिवार ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल को घेरा
किशनगंज स्थित माता गुजरी मेडिकल कॉलेज (MGM) एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। कॉलेज के संस्थापक मोलेश्वर सिंह के परिवार ने पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार ने दावा किया है कि डॉ. जायसवाल ने पिछले 25 वर्षों में ट्रस्ट के नियमों की अवहेलना करते हुए मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्जा कर लिया है।
इस पूरे प्रकरण को और अधिक तूल तब मिला जब जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आरोपों को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ ट्रस्ट के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि एक सार्वजनिक संसाधन को निजी स्वार्थों के लिए कब्जा करने जैसा घोर अनुचित कृत्य है।
संस्थापक परिवार का आरोप
मोलेश्वर सिंह के परिजनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दस्तावेजों के साथ दावा किया कि कॉलेज को एक पवित्र उद्देश्य से समाज की सेवा के लिए ट्रस्ट के अंतर्गत स्थापित किया गया था। परंतु वर्षों से ट्रस्ट के नाम पर चल रही व्यवस्थाएं अब एक व्यक्ति विशेष के नियंत्रण में आ गई हैं। परिजनों ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट की बैठकें अब बिना परिवार की सहमति के होती हैं, और सारे निर्णय एकतरफा लिए जा रहे हैं।
प्रशांत किशोर का बड़ा बयान
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को जनता से जोड़ते हुए कहा कि अगर एक मेडिकल कॉलेज, जो कि समाज के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है, पर इस तरह से कब्जा किया जा सकता है, तो यह पूरे राज्य के लिए चिंताजनक संकेत है। उन्होंने सरकार और न्यायपालिका से हस्तक्षेप की मांग करते हुए निष्पक्ष जांच की अपील की।
बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे मामले पर अब तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है, और विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है।
आगे की कार्रवाई पर निगाहें
संस्थापक परिवार ने न्यायालय जाने का भी संकेत दिया है, यदि इस मामले में जल्द कोई कार्रवाई नहीं होती है। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से भी जांच कराने की मांग की है।
इस मामले ने बिहार की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है और क्या वास्तव में ट्रस्ट की मूल भावना की पुनः स्थापना हो सकेगी।