बिहार के संदीप कुमार: संघर्ष, समर्पण और सफलता की जीती-जागती मिसाल
अगर कभी किसी को संघर्ष, समर्पण और सफलता का जीवंत उदाहरण देखना हो, तो बिहार के गया जिले के डुमरिया प्रखंड के रहने वाले संदीप कुमार को जरूर देखना चाहिए। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले संदीप ने कठिनाइयों को चीरते हुए वो मुकाम हासिल किया है, जिसे पाने का सपना लाखों युवा देखते हैं। संदीप ने न सिर्फ तीन बार यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास किया, बल्कि पहले आईपीएस और फिर आईएएस अधिकारी बनकर अपने गांव, परिवार और बिहार का नाम रौशन किया।
गरीबी में पला-बढ़ा, लेकिन सपना था ऊंचा
संदीप की मां एक किराना दुकान चलाती थीं और पिता खेती-बाड़ी से जुड़े हुए थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद साधारण थी, लेकिन उनके सपने कभी छोटे नहीं हुए। संदीप ने ग्रामीण स्कूलों से पढ़ाई की और बाद में सेल्फ स्टडी के जरिए यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
तीन बार यूपीएससी में सफलता
संदीप ने पहली बार यूपीएससी पास कर आईपीएस सेवा प्राप्त की। इसके बाद भी उन्होंने संतोष नहीं किया। दूसरी बार फिर से प्रयास किया और एक बेहतर रैंक के साथ चयनित हुए। तीसरे प्रयास में उन्होंने टॉप रैंक के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) हासिल की। यह उपलब्धि उनके लगातार आत्मविश्वास, परिश्रम और समर्पण का प्रमाण है।
"सपनों को हालातों से हारने मत दो"
संदीप कहते हैं –
"मेरे पास कोचिंग के पैसे नहीं थे, लेकिन हौसले थे। मां की मेहनत और खुद की लगन ने रास्ता दिखाया। यदि आप ठान लें, तो हालात चाहे जैसे भी हों, मंजिल जरूर मिलती है।"
गांव के युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत
आज संदीप न केवल एक सफल अधिकारी हैं, बल्कि वे अपने गांव और क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं। वे समय-समय पर युवाओं को मार्गदर्शन देते हैं और बताते हैं कि सिविल सेवा जैसी परीक्षा को भी बिना बड़े संसाधनों के, ईमानदारी और मेहनत से पास किया जा सकता है।