Bihar Election 2025 : अब MY के भरोसे नहीं रहेगी RJD, लालू ने बनाया नया जातीय समीकरण YRK
नीतीश कुमार ने अपने 20 साल के शासन में कभी जाति और धर्म के आधार पर काम नहीं किया। उनकी आलोचना अन्य कारणों से हो सकती है, लेकिन इस मामले पर निश्चित रूप से नहीं। बिहार की नई पार्टी जन सूरज के शिल्पकार प्रशांत किशोर ने भी बिना किसी भेदभाव के सभी को साथ रखने का वादा किया है। लेकिन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद शुरू से लेकर आज तक जातिवाद से बाहर नहीं आ पाई है। तेजस्वी के पिता और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सामाजिक न्याय के नाम पर जो जातीय गोलबंदी की थी, वह बाद में मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण में बदल गई। लालू यादव को भरोसा था कि अगर 14 फीसदी यादव और 17 फीसदी मुस्लिम आबादी पर उनकी पकड़ मजबूत हो गई, तो उन्हें कभी सत्ता नहीं छोड़नी पड़ेगी। उनकी भविष्यवाणी 15 साल तक सही साबित हुई। यादव-मुस्लिम गठजोड़ की बदौलत ही लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी 15 साल तक बिहार की सत्ता में रहे। 2005 में नीतीश कुमार के उदय के बाद मुसलमानों ने राजद से दूरी बनानी शुरू कर दी नीतीश ने भले ही अब तक अपनी राजनीतिक रणनीति बरकरार रखी है, लेकिन राजद की रणनीति बदलती रही है। लालू की सहमति से राजद की कमान संभालने वाले तेजस्वी को अब भी लगता है कि अगर उनके पिता जातीय समीकरण बिठाकर राज करते, तो सत्ता तक पहुँचने का यही आधार हो सकता था। कभी वह M-Y, कभी BAAP तो कभी A से Z जैसे जातीय समीकरणों की बात करते हैं। तेजस्वी 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से इतने उत्साहित हैं कि अब उन्हें सत्ता अपने हाथ में आती दिख रही है। इसके लिए उनकी ऊर्जा तरह-तरह के नए जातीय समीकरण बनाने में खर्च हो रही है। लालू से गुरु मंत्र लेकर तेजस्वी यादव-कुशवाहा-राजपूत (YKR) समीकरण बनाने में जुटे हैं।