बिहार में औद्योगिक विकास को मिला बड़ा बढ़ावा: ‘उद्योग वार्ता’ में रिकॉर्ड 32 निवेश प्रस्ताव, नए उद्योगों की संभावनाएं तेज
बिहार में औद्योगिक विकास को लेकर सकारात्मक संकेत लगातार मजबूत हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा आयोजित ‘उद्योग वार्ता’ कार्यक्रम में इस बार रिकॉर्ड 32 निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिसे औद्योगिक क्षेत्र के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। इन प्रस्तावों से राज्य में न केवल नए उद्योग स्थापित होंगे बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
उद्योग विभाग के अनुसार, प्राप्त निवेश प्रस्ताव खाद्य प्रसंस्करण, टेक्सटाइल, फार्मा, कृषि-आधारित उद्योग, प्लास्टिक, लॉजिस्टिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विविध सेक्टर्स से जुड़े हुए हैं। कई प्रस्ताव 50 करोड़ से 200 करोड़ रुपए तक के निवेश के हैं, जो बिहार के औद्योगिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।
कार्यक्रम में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों, उद्योगपतियों और उद्यमियों ने भाग लिया। निवेशकों ने कहा कि—
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बिहार में बेहतर कनेक्टिविटी,
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बढ़ता उपभोक्ता बाजार,
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और सरकार की नई उद्योग नीति
उन्हें निवेश के लिए प्रेरित कर रही है।
सरकार की ओर से निवेशकों को भूमि उपलब्धता, सिंगल विंडो सिस्टम, पावर सप्लाई सुधार और उद्योग स्थापना से जुड़े प्रक्रियाओं को सरल बनाए जाने की जानकारी भी साझा की गई। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि सरकार सभी निवेश प्रस्तावों को जल्द से जल्द अनुमोदन देने की दिशा में काम कर रही है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि प्राप्त प्रस्ताव बिहार की बढ़ती औद्योगिक क्षमता का संकेत हैं। “यह राज्य में उद्योग और रोजगार के नए युग की शुरुआत है। आने वाले वर्षों में बिहार एक बड़ा औद्योगिक हब बन सकता है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन 32 प्रस्तावों में से अधिकांश जमीन पर उतरते हैं, तो बिहार के आर्थिक विकास में निर्णायक बढ़त मिलेगी। खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में छोटे और मध्यम उद्योगों को नई दिशा मिलेगी।
‘उद्योग वार्ता’ का उद्देश्य निवेशकों की समस्याओं को सुनना, समाधान देना और उद्योग स्थापित करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। इस बार रिकॉर्ड निवेश प्रस्तावों ने कार्यक्रम की सफलता को स्पष्ट कर दिया है।
राज्य में औद्योगिक विकास के लिए यह रुझान सकारात्मक है और यह आने वाले महीनों में और बड़े निवेशों की आधारशिला साबित हो सकता है।