सावन के दूसरे सोमवार पर बाबा विश्वनाथ का दरबार भक्तों से गुलजार, रविवार शाम से शुरू हुआ श्रद्धालुओं का तांता
सावन माह के दूसरे सोमवार को काशी नगरी पूरी तरह शिवमय हो गई। बाबा विश्वनाथ के भक्तों का जनसैलाब रविवार की शाम से ही मंदिर परिसर की ओर उमड़ पड़ा। श्रद्धालु दूर-दराज से कांवड़ लेकर बाबा का जलाभिषेक करने के लिए पहुंचे। जैसे-जैसे शाम ढलती गई, भक्त बैरिकेडिंग में कतारबद्ध होने लगे। यह सिलसिला रातभर जारी रहा और सोमवार की सुबह होते ही मंदिर परिसर हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा।
मंदिर प्रशासन के मुताबिक, जलाभिषेक की शुरुआत मंगला आरती के बाद हुई। काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए भक्तों को सुरक्षा जांच के बाद बैरिकेडिंग के जरिए मंदिर गर्भगृह तक पहुंचने दिया गया। श्रद्धालु गंगाजल, दूध, बेलपत्र, भस्म और धतूरा लेकर बाबा को अर्पित कर रहे हैं। हर किसी की एक ही कामना—शिव कृपा और मनोकामना की पूर्ति।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को विभिन्न बिंदुओं पर तैनात किया गया है। मंदिर क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है और हर प्रवेश द्वार पर अतिरिक्त पुलिस बल मौजूद है। यातायात को भी डायवर्ट किया गया है ताकि शहर में जाम की स्थिति उत्पन्न न हो।
शिवभक्तों की सुविधा के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग ने भी पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में साफ-सफाई और पेयजल की व्यवस्था की गई है। वहीं, श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल टीम और एंबुलेंस भी तैनात हैं।
हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कांवड़ियों ने बताया कि वे कई दिनों की पदयात्रा कर बाबा के दर्शन के लिए काशी पहुंचे हैं। उनका मानना है कि सावन में बाबा का जलाभिषेक करने से समस्त पाप कट जाते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
शहर के गंगा घाटों से लेकर विश्वनाथ मंदिर तक शिवभक्ति का उत्सव नजर आ रहा है। पंडा समाज के पुजारियों के अनुसार, श्रावण मास में हर सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
सावन के अगले सोमवार को और भी ज्यादा भीड़ की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने व्यवस्थाएं और मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। कुल मिलाकर, बाबा विश्वनाथ की नगरी में सावन का यह सोमवार श्रद्धा, भक्ति और शिव आराधना से सराबोर हो गया है।