बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान, चुनाव आयोग की चुप्पी पर उठाए सवाल
बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान भी तेजी से चलाया जा रहा है, ताकि राज्य के सभी योग्य नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सके।
इस बीच एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार (14 जुलाई) को एएनआई से बातचीत में चुनाव आयोग की भूमिका और पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ओवैसी ने चुनाव आयोग की चुप्पी पर जताई नाराजगी
ओवैसी ने कहा,
"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक संवैधानिक संस्था (चुनाव आयोग) खुद सामने आकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है और सारी बातें केवल 'सूत्रों' के हवाले से सार्वजनिक हो रही हैं।"
उन्होंने यह भी सवाल किया कि चुनाव आयोग क्यों सीधे संवाद से बच रहा है, जबकि लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर जनता को सही जानकारी देना उसकी जिम्मेदारी है।
मतदाता सूची पर आशंका और सवाल
बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान को लेकर भी कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने संभावित गड़बड़ियों की आशंका जताई है। ओवैसी ने कहा कि
“हमारे पास कई इलाकों से शिकायतें आई हैं कि गरीब, अल्पसंख्यक और दलित समुदायों के नाम सूची से गायब किए जा रहे हैं। यह बेहद गंभीर मामला है।”
उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए और सार्वजनिक रूप से आंकड़े साझा करने चाहिए कि अब तक कितने नाम जोड़े गए हैं, कितने हटाए गए हैं और किस आधार पर यह कार्य हो रहा है।
विपक्ष भी उठा चुका है सवाल
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों ने भी हाल ही में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। राजद ने आरोप लगाया था कि मतदाता सूची से नाम हटाने के पीछे राजनीतिक उद्देश्य हो सकते हैं। वहीं कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पूरी प्रक्रिया की निगरानी और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है।
चुनाव आयोग की सफाई?
हालांकि चुनाव आयोग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। केवल कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि
"एसआईआर अभियान पूरी पारदर्शिता के साथ हो रहा है और किसी भी मतदाता को जानबूझकर हटाया नहीं जा रहा है।"