"जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू": लालू के गांव फुलवरिया में समोसे का नया जायका
बिहार में लालू यादव के लिए एक लोकप्रिय नारा है, "जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू।" इस नारे को लेकर लोगों के बीच एक दिलचस्प जुड़ाव है। हम जब इस नारे की गहराई नापने के लिए लालू यादव के गांव फुलवरिया पहुंचे, तो हमें वहाँ कुछ बदलाव देखने को मिले जो इस नारे से परे थे।
गांव के बाहर चौराहे पर स्थित लालू के पुश्तैनी घर के पास एक छोटी सी दुकान थी, जहाँ समोसा बिकता था। पहले यह समोसा सादा आलू से भरा हुआ मिलता था, लेकिन अब इस छोटे से स्टॉल पर समोसे का जायका बदल चुका है। दुकानदार सोनू यादव ने बताया, "अब लोग आलू के साथ मटर, चना और चटनी का मिश्रण चाहने लगे हैं। पहले जैसा सादा समोसा अब ग्राहकों को उतना पसंद नहीं आता।"
इस बदलाव को देखकर यह साफ़ है कि जैसे समय बदल रहा है, वैसे ही लोगों के स्वाद भी बदल रहे हैं। सोनू यादव ने कहा, "बाबू, अब लोग नया स्वाद चाहते हैं, सिर्फ आलू वाला सादा समोसा अब ताजगी की तरह नहीं लगता। लोग चाह रहे हैं कि समोसे में कुछ खास जायका हो, जो उनका मन भाए।"
गांव के लोग भी इस बदलाव को अपनाने लगे हैं और समोसे का यह नया स्वाद अब उनके बीच लोकप्रिय हो गया है। हालांकि, आलू और मटर वाला समोसा आज भी कई लोगों की पसंद बना हुआ है, लेकिन अब फुलवरिया में जायके का नया मिश्रण ग्राहकों को और भी आकर्षित कर रहा है।
इस बदलाव के बीच, एक बात स्पष्ट है कि जैसे जैसे समय और स्वाद बदलते हैं, वैसा ही समाज की धारा भी बदलती है। हालांकि लालू यादव का राजनीतिक प्रभाव अभी भी बिहार में कायम है, लेकिन गांव के छोटे से समोसा स्टॉल ने यह साबित कर दिया है कि स्वाद और नई सोच की ताकत अब हर जगह महसूस की जा रही है।
लालू के गांव फुलवरिया में यह बदलाव न केवल समोसे में बल्कि समग्र रूप से समाज के बदलते स्वभाव को भी दर्शाता है। आजकल की युवा पीढ़ी पुराने रिवाजों और आदतों से हटकर कुछ नया और ताजगी से भरा हुआ चाहती है। ऐसे में यह बदलाव बेशक एक संकेत है कि बिहार में, चाहे राजनीति हो या खाने-पीने की चीज़ें, कुछ भी स्थिर नहीं रहता।