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बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बीच 12 आईपीएस अधिकारियों का तबादला, कई अफसर शंटिंग में भेजे गए

 

बिहार में लगातार बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बढ़ती आपराधिक घटनाओं के बीच नीतीश सरकार की गृह विभाग ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए शुक्रवार को 12 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। इस बदलाव को राज्य में लगातार हो रही वारदातों और विपक्ष की तीखी आलोचनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है। खास बात यह है कि इस फेरबदल में कई अधिकारियों को शंटिंग पोस्टिंग भी दी गई है, जिससे यह भी संकेत मिलते हैं कि सरकार अब अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के मूड में है।

तबादला सूची में सबसे चर्चित नाम कटिहार के एसपी वैभव शर्मा का है, जिन्हें अब पटना स्थित अनुसंधान नियंत्रण कक्ष (Research & Control Room) का एसपी बनाया गया है। प्रशासनिक हलकों में इसे शंटिंग पोस्टिंग के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यह पद फील्ड ड्यूटी की तुलना में कम सक्रिय भूमिका वाला माना जाता है। कटिहार में हालिया आपराधिक घटनाओं और कानून-व्यवस्था को लेकर उनके कामकाज पर सवाल उठे थे।

सूत्रों के अनुसार, गृह विभाग ने जिन 12 आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया है, उनमें से कुछ को बेहतर प्रदर्शन का इनाम मिला है तो कुछ को कमजोर पकड़ और लचर प्रबंधन के चलते फील्ड से हटा दिया गया है। हालांकि, सरकार की ओर से तबादलों को नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया बताया गया है, लेकिन विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता का प्रमाण बताया है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज
राजद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आईपीएस तबादलों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि केवल अधिकारियों को इधर-उधर करने से कानून-व्यवस्था नहीं सुधरेगी। राजद प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की असली समस्या नेतृत्व की कमजोरी है, न कि केवल अफसरों की लापरवाही। उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री और गृह विभाग कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक हालात नहीं बदलेंगे।

जनता में भी बढ़ी चिंता
लगातार बढ़ती आपराधिक घटनाएं—चाहे वह पटना में छात्र को गोली मारने की घटना हो या अन्य जिलों में लूटपाट, हत्या, अपहरण—सभी ने आम जनता में भय का माहौल बना दिया है। अब जब सरकार ने कुछ अधिकारियों को शंटिंग में भेजा है, तो इससे यह संदेश जरूर गया है कि जवाबदेही तय करने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं माना जा रहा।

प्रशासनिक स्तर पर संकेत
तबादलों से यह भी संकेत मिला है कि सरकार अब फील्ड में कार्यरत अधिकारियों से स्पष्ट नतीजे चाहती है। आने वाले समय में यदि अपराध नियंत्रित नहीं हुआ, तो और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

फिलहाल देखना होगा कि इन तबादलों का क्या असर राज्य की कानून-व्यवस्था पर पड़ता है और क्या जनता को कोई ठोस राहत मिलती है या यह केवल एक दिखावटी कवायद बनकर रह जाती है।