बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR पर सियासी बवाल, मिंता देवी की तस्वीर टी-शर्ट पर विपक्षी सांसदों ने पहनी
बिहार में इस साल 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले SIR (Special Identification Roll) को लेकर सियासी वातावरण गर्म है। चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है और कई जगह प्रदर्शन कर रहा है।
मंगलवार, 12 अगस्त 2025 को विपक्षी सांसदों के प्रदर्शन के दौरान एक घटना ने सभी का ध्यान खींचा। विपक्षी नेताओं ने टी-शर्ट पर मिंता देवी की तस्वीर लगाकर प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी भी प्रदर्शन में शामिल थीं और उनकी टी-शर्ट पर भी मिंता देवी की तस्वीर दिखी।
मिंता देवी सीवान की निवासी हैं और पिछले दिनों उनका नाम वोटर लिस्ट में जुड़ने के मामले ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया था। इस बार विपक्षी नेताओं ने उनके चित्र का उपयोग SIR और फर्जी वोटरों के मुद्दे को उजागर करने के लिए किया।
इस घटना पर मिंता देवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "प्रियंका गांधी और राहुल गांधी मेरे कौन होते हैं? उनको किसने अधिकार दिया कि मेरी तस्वीर का इस्तेमाल प्रदर्शन में करें?" उनका यह बयान इस घटना को लेकर समाज और मीडिया में चर्चा का केंद्र बन गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि SIR को लेकर विरोध प्रदर्शन और इस तरह के प्रतीकात्मक प्रयोग चुनावी माहौल को और उग्र बना रहे हैं। विपक्ष का यह कदम सत्तापक्ष पर दबाव बनाने और जनता का ध्यान चुनावी मुद्दों की ओर खींचने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
चुनावी सत्र में SIR के मुद्दे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर फर्जी वोटर, पारदर्शी चुनाव और मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। विपक्ष का मानना है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं, जबकि सरकार और चुनाव आयोग इसे निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि मिंता देवी की तस्वीर का प्रदर्शन में इस्तेमाल राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है। विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि मतदाता सूची और SIR के मुद्दे को लेकर जनता और आम नागरिक भी सवाल उठा रहे हैं। वहीं, मिंता देवी ने साफ कर दिया है कि उन्हें इस तरह के प्रयोग का कोई अधिकार नहीं है।
बिहार में SIR और वोटर लिस्ट को लेकर यह विवाद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण सियासी मुद्दा बन गया है। जनता के बीच इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ रही है और राजनीतिक दल इसे चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाजी, प्रदर्शन और प्रतीकात्मक प्रयोग बिहार की सियासत में तेजी से बढ़ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे का असर चुनावी नतीजों और जनमत पर कैसे पड़ता है।