पूर्णिया की महिला थानाध्यक्ष पर सवालों की बौछार: ड्यूटी की गरिमा भूलीं, थाने की कुर्सी पर परिजनों को बैठाने का मामला वायरल
पूर्णिया जिले से एक महिला पुलिस अधिकारी से जुड़ा मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली और अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला जिले के एक थाने का है, जहां तैनात महिला थानाध्यक्ष ने ड्यूटी की गरिमा और मर्यादा को नजरअंदाज करते हुए अपनी परिजनों को थाने में कुर्सी पर बैठा दिया। इस पूरे घटनाक्रम की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है, जिसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
वायरल फोटो में साफ देखा जा सकता है कि थाने की कुर्सी, जिस पर आमतौर पर अधिकारी बैठते हैं, उस पर महिला थानाध्यक्ष के परिजन (संभावित तौर पर पति या अन्य करीबी रिश्तेदार) बैठे हुए हैं और थाने में उपस्थित अन्य पुलिसकर्मी सामने खड़े हैं। इस दृश्य ने आमजन के मन में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब कानून के रक्षक ही नियमों का इस तरह उल्लंघन करेंगे, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा?
मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्णिया रेंज के डीआईजी ने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, यह जांच यह पता लगाने के लिए की जा रही है कि उक्त महिला अधिकारी ने किन परिस्थितियों में परिजनों को थाने में बैठाया, क्या यह नियमित ड्यूटी समय में हुआ था और क्या इससे थाने के कामकाज में कोई बाधा उत्पन्न हुई।
हालांकि इस मामले में अभी तक महिला थानाध्यक्ष की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन पुलिस विभाग इस प्रकरण को लेकर स्पष्ट रूप से असहज महसूस कर रहा है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि ड्यूटी के दौरान किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा अपने निजी रिश्तेदारों को थाने की कुर्सी पर बैठाना न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि यह विभागीय मर्यादाओं का उल्लंघन भी है।
इस प्रकरण ने यह भी उजागर कर दिया है कि सोशल मीडिया अब सरकारी तंत्र की गतिविधियों पर निगरानी रखने का एक प्रभावी माध्यम बन चुका है। आम नागरिकों द्वारा पोस्ट की गई एक तस्वीर ने पूरे जिले में प्रशासनिक हलचल पैदा कर दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि थानों को आम जनता की समस्याओं के समाधान का केंद्र माना जाता है, लेकिन जब थानों में परिवारवाद और व्यक्तिगत रिश्तों का हस्तक्षेप होगा, तो आमजन की अपेक्षाएं टूट जाएंगी। लोग यह भी मांग कर रहे हैं कि दोषी अधिकारी पर कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई अन्य अधिकारी ड्यूटी की गरिमा को इस तरह से तार-तार करने का साहस न कर सके।