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श्रावणी मेला में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, पटना से 108 फीट लंबे कांवर के साथ रवाना हुआ भक्तों का जत्था

 

बिहार में सावन महीने की धार्मिक आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में श्रद्धालु सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। इस पवित्र यात्रा में भक्तों की अपार आस्था और उत्साह देखते ही बनता है।

कांवड़िया पथ पर इन दिनों हर-हर महादेव और बोल बम के जयघोष गूंज रहे हैं। श्रद्धालु रंग-बिरंगे वस्त्रों में, कांवर को फूल-मालाओं और लाइटों से सजाकर अपने आराध्य भगवान शिव को जल अर्पित करने की साधना में लगे हैं। भक्तों के इस अपार उत्साह से पूरा क्षेत्र भक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा है।

इसी क्रम में पटना सिटी के कंकड़बाग स्थित योगीपुरी शिव मंदिर समिति से एक विशेष कांवड़ यात्रा निकली है, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस जत्थे की खास बात यह है कि यह 108 फीट लंबा कांवर लेकर बाबा धाम की ओर रवाना हुआ है। इस लंबी और सुसज्जित कांवर यात्रा को देखने के लिए भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और श्रद्धालुओं का उत्साहवर्धन किया।

यह विशेष कांवड़ यात्रा समिति द्वारा पिछले 15 वर्षों से लगातार निकाली जा रही है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी दर्जनों कांवरिए मिलकर इस विशिष्ट कांवर को कंधे पर उठाकर देवघर तक ले जाएंगे। कांवड़ में शुद्ध गंगाजल भरकर श्रद्धालु पदयात्रा के माध्यम से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं।

इस अवसर पर समिति के संयोजक ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य न केवल धार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है, बल्कि युवाओं में संस्कार, अनुशासन और सेवा की भावना भी विकसित करना है। कांवड़ यात्रा के दौरान चिकित्सा सहायता, जलपान केंद्र और विश्राम शिविर की भी व्यवस्था की गई है, जिससे कांवड़ियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

श्रावणी मेले के दौरान प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कांवरियों के लिए अलग से मार्ग चिन्हित किए गए हैं और मेडिकल सहायता केंद्र भी सक्रिय हैं। पूरे मार्ग को श्रद्धालुओं की सुविधानुसार व्यवस्थित किया गया है।

गौरतलब है कि श्रावणी मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बिहार और झारखंड की संस्कृति, भक्ति और सामाजिक सहभागिता का प्रतीक बन गया है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं और बाबा बैद्यनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।

इस प्रकार 108 फीट लंबे कांवर के साथ निकला यह जत्था आस्था, परंपरा और निष्ठा का अनुपम उदाहरण है, जो बाबा भोलेनाथ की भक्ति में पूरी तरह समर्पित नजर आता है।