बिहार में 43 लाख वोटर लापता, चुनाव आयोग ने पार्टियों को सौंपी लिस्ट, क्या हट जाएंगे इतने नाम?
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा खुलासा हुआ है। चुनाव आयोग ने बताया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में लगभग 43 लाख 92 हज़ार मतदाता अपने पते पर नहीं मिले या उनके दस्तावेज़ पूरे नहीं थे। सबसे अहम बात यह है कि यह जानकारी सिर्फ़ 12 राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई है, ताकि वे बता सकें कि इन मतदाताओं के साथ क्या किया जाना चाहिए।
कौन हैं ये मतदाता?
इन सभी मतदाताओं को 4 प्रकार की श्रेणियों में रखा गया है।
मृत मतदाता: यानी जिनकी मृत्यु हो गई है लेकिन उनके नाम अभी भी सूची में हैं।
वे लोग जो बिहार से किसी दूसरे राज्य या क्षेत्र में स्थायी रूप से चले गए हैं।
कई जगहों पर दर्ज नाम: यानी जिनके नाम एक से ज़्यादा विधानसभा क्षेत्रों में दर्ज हैं।
नहीं मिले: वे मतदाता जिनका रिकॉर्ड नहीं मिला, घर बंद मिला या कोई जानकारी नहीं मिली।
11,484 मतदाता चौंकाने वाले हैं
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 11,484 मतदाता ऐसे हैं जिनका कोई अता-पता नहीं चल पाया है और आयोग को संदेह है कि इनमें बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी भी हो सकते हैं।
क्या नाम हटाए जाएँगे?
नहीं, ऐसा नहीं है कि ये सभी नाम सीधे हटा दिए जाएँगे। चुनाव आयोग ने यह सूची राजनीतिक दलों को एक मसौदे यानी प्रस्ताव के तौर पर भेजी है। अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। जिन मतदाताओं को लापता या संदिग्ध माना जाएगा, उन्हें नोटिस भेजे जाएँगे। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) उनके घर जाकर दोबारा जाँच करेंगे। मतदाता की पहचान या पता न मिलने पर ही नाम हटाया जाएगा।