22 साल पुराना मामला: भाई की हत्या के आरोप में सगे भतीजों को उम्रकैद की सजा
22 साल पहले एक मामूली विवाद में सगे भाई ने अपने ही बड़े भाई की इतनी बेरहमी से पिटाई की थी कि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। यह मामला इतना लंबा खिंच गया कि मृतक के बेटे ने प्राथमिकी दर्ज कराई, और 22 साल बाद इस पर कोर्ट का फैसला आया। हालांकि, एक विचित्र मोड़ में अदालत ने हत्या के आरोपी सगे भाई को सजा नहीं दी, क्योंकि ट्रायल के दौरान आरोपी की मौत हो गई।
मामला बिहार के एक जिले का है, जहां 22 साल पहले दो भाईयों के बीच एक मामूली विवाद हुआ था। विवाद इतना बढ़ गया कि छोटे भाई ने अपने दो बेटों के साथ मिलकर बड़े भाई की बेरहमी से पिटाई कर दी। बाद में बड़े भाई को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मृतक के बेटे ने अपने पिता की हत्या का आरोप अपने चाचा पर लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई। इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, लेकिन यह ट्रायल इतने लंबे समय तक खिंच गया कि कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही हत्या के आरोपी सगे भाई की मौत हो गई। अदालत ने इसे देखते हुए इस आरोपी को सजा नहीं दी, लेकिन उस मामले में न्याय को एक और मोड़ तब मिला जब अदालत ने मृतक के भाई के दोनों बेटों को आरोपी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी।
दोनों सगे भतीजों को अदालत ने हत्या में अपनी भूमिका को लेकर दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में न्यायाधीश ने यह भी कहा कि भले ही मुख्य आरोपी की मौत हो गई हो, लेकिन हत्या के मामले में कोई भी दोषी बच नहीं सकता, और दोनों भतीजों को कानून के अनुसार सजा दी गई है।
यह मामला परिवार के अंदर एक भयावह हिंसा और लंबी कानूनी प्रक्रिया का उदाहरण बनकर उभरा है। इसने यह भी सिद्ध कर दिया कि भले ही समय लंबा लगे, लेकिन अपराधियों को आखिरकार न्याय का सामना करना पड़ता है।