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रामेश्वरम में आज भी तैरते हैं पत्थर? आखिर क्या है वैज्ञानिक कारण

 

रामेश्‍वरम एक ऐसी जगह है जहां समुद्र में तैरते हुए पत्‍थर पाए जाते हैं। लोग इसे चमत्कार मानते हैं, लेकिन क्या ये वाकई चमत्कार है या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है? ये तैरते हुए पत्थर राम सेतु से जुड़े हैं या नहीं, ये सवाल हर किसी के मन में है. लोगों को आश्चर्य होता है कि ये पत्थर पानी में क्यों तैरते हैं। क्या विज्ञान इस रहस्य को समझा सकता है? आइए जानें कि ये पत्थर कैसे तैरते हैं और इसके पीछे क्या कारण हो सकता है।

राम सेतु निर्माण की अद्भुत कहानी
रामायण के अनुसार, जब रावण ने सीता का अपहरण कर लिया, तो राम ने लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र पर एक पुल बनाया। ये ब्रिज महज 5 दिन में बनकर तैयार हो गया. लेकिन इस विशाल पुल को बनाने में किस तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया यह एक बड़ा सवाल है।

तैरते पत्थरों का रहस्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने समुद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। संतुष्ट होकर समुद्र देव ने भगवान राम को समुद्र पर पत्थर का पुल बनाने का आशीर्वाद दिया। राम ने अपनी वानर सेना के साथ पत्थर समुद्र में फेंके और पत्थर पानी में तैरने लगे।

विज्ञान क्या कहता है?
हालाँकि, विज्ञान इस चमत्कार के पीछे कुछ अन्य कारण भी बताता है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि राम सेतु के निर्माण में एक विशेष प्रकार के पत्थर, जिसे 'प्यूमिस स्टोन' कहा जाता है, का उपयोग किया गया था। ये पत्थर ज्वालामुखी के लावा से बने हैं और इनमें कई छेद हैं। इन्हीं छिद्रों के कारण ये पत्थर हल्के होते हैं और पानी में तैरते हैं।

नासा ने की पुष्टि
नासा ने सैटेलाइट की मदद से राम सेतु की तस्वीरें ली हैं और पुष्टि की है कि यह कोई प्राकृतिक संरचना नहीं है। यह तथ्य धार्मिक मान्यताओं को पुष्ट करता है।

राम सेतु का दूसरा नाम क्या है?
इस पुल को पूरी दुनिया में 'एडम्स ब्रिज' के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसे भगवान विष्णु के अवतार श्री राम से जोड़ा जाता है। यह पुल भारत में रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका में मन्नार तक जाता है।

एक रहस्यमयी पुल
राम सेतु आज भी रहस्य है. विज्ञान और धर्म दोनों ही इसके बारे में अलग-अलग व्याख्या देते हैं। यह पुल इतिहास, धर्म और विज्ञान का अनोखा संगम है।