लॉर्ड्स टेस्ट में शुभमन गिल रच सकते हैं इतिहास, कोहली-गावस्कर, ब्रेडमैन को देंग पटकनी
क्रिकेट न्यूज डेस्क।। भारत और इंग्लैंड के बीच जारी 5 मैचों की बहुप्रतीक्षित तेंदुलकर-एंडरसन टेस्ट सीरीज अब रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुकी है। दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर हैं और आज यानी बुधवार से इस सीरीज का तीसरा मुकाबला 'क्रिकेट के मक्का' लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेला जा रहा है। इस टेस्ट को लेकर जहां दोनों देशों के फैंस में उत्साह चरम पर है, वहीं सभी की निगाहें भारत के युवा कप्तान शुभमन गिल पर टिकी हैं, जो इस मैच में कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड अपने नाम कर सकते हैं।
गिल की ऐतिहासिक फॉर्म ने बढ़ाया रोमांच
पिछले टेस्ट मैच में शुभमन गिल ने एक दोहरा शतक और एक शतक लगाकर न केवल इंग्लैंड के गेंदबाजों की कमर तोड़ दी, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में अपनी अभूतपूर्व तकनीक और धैर्य का प्रदर्शन करते हुए सबको चौंका दिया। बतौर कप्तान यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना जा रहा है, और अब लॉर्ड्स में एक और शतक उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर कर सकता है।
गिल रच सकते हैं ये रिकॉर्ड
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लगातार तीन पारियों में शतक लगाने वाले पहले भारतीय कप्तान बनने का मौका।
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लॉर्ड्स में शतक लगाने वाले सबसे युवा भारतीय कप्तानों की सूची में शामिल हो सकते हैं।
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यदि गिल इस टेस्ट में शतक या दोहरा शतक लगाते हैं, तो वह बतौर कप्तान एक टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले भारतीय कप्तान भी बन सकते हैं।
इस टेस्ट सीरीज का नाम भले ही सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन जैसे दिग्गजों पर रखा गया हो, लेकिन अब इसका आकर्षण बन चुके हैं शुभमन गिल। दूसरी ओर, इंग्लैंड की टीम अपने घरेलू मैदान पर वापसी करना चाहेगी, खासकर कप्तान बेन स्टोक्स की अगुआई में, जो इस टेस्ट को हर हाल में जीतना चाहते हैं।
लॉर्ड्स का ऐतिहासिक महत्व
लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड, जिसे क्रिकेट प्रेमी ‘क्रिकेट का मक्का’ कहते हैं, किसी भी खिलाड़ी के लिए सपनों का मैदान होता है। यहां पर रन बनाना या जीत हासिल करना किसी उपलब्धि से कम नहीं। अगर गिल इस ऐतिहासिक मैदान पर शतक या मैच जिताऊ पारी खेलते हैं, तो यह उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि होगी।
टीम इंडिया में आत्मविश्वास, लेकिन इंग्लैंड की चुनौती बरकरार
गिल की कप्तानी में टीम इंडिया आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही है। मोहम्मद सिराज और आकाश दीप की गेंदबाजी के दम पर भारतीय गेंदबाजी आक्रमण भी मजबूत दिख रहा है। हालांकि, इंग्लैंड के बल्लेबाजों को हल्के में लेना गलती होगी, खासकर जो रूट, हैरी ब्रूक और बेन डकेट जैसे खिलाड़ी वापसी को आतुर हैं।