भारतीय बल्लेबाजों ने मैनचेस्टर में दिखाई फाईटर स्परिट, इंग्लैंड को घुटनों पर लाकर याद दिलाया 46 साल पुराना इतिहास
क्रिकेट न्यूज डेस्क।। कहते हैं कि इतिहास मुश्किल वक्त में जीत हासिल करने वालों को याद रखता है। भारतीय बल्लेबाजों ने भी मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ कराकर क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया है। अब जब भी मैनचेस्टर की बात होगी, बेन स्टोक्स की अगुवाई वाली इंग्लैंड टीम के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों द्वारा दिखाए गए साहस और बहादुरी की भी चर्चा होगी। मैनचेस्टर टेस्ट में शुभमन गिल, केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने न सिर्फ दमदार पारियां खेलीं, बल्कि मुश्किल हालात में विकेट पर डटे रहने का जज्बा भी दिखाया। और, जब ऐसे खिलाड़ी टीम इंडिया में हों, तो उसे हार का डर क्यों? इन सभी ने ऐसा प्रदर्शन किया कि इंग्लैंड न सिर्फ खामोश रहा, बल्कि उसे 46 साल पुराना अतीत भी याद आ गया।
मैनचेस्टर में भारतीय बल्लेबाजों ने दिखाया साहस
अब आप कहेंगे कि 46 साल पुराने अतीत का क्या मतलब? तो हम इस पर बात करेंगे, लेकिन उससे पहले मैनचेस्टर टेस्ट में गिल, राहुल, जडेजा और सुंदर द्वारा दिखाए गए साहस को समझना ज़रूरी है। पहली पारी में 311 रनों की बढ़त लेने के बाद इंग्लैंड मजबूत स्थिति में था। और, उसकी जीत पक्की लग रही थी। इंग्लैंड की जीत तब और भी पक्की लग रही थी जब दूसरी पारी के पहले ही ओवर में भारत ने लगातार दो गेंदों पर यशस्वी जायसवाल और साई सुदर्शन के विकेट गंवा दिए। यानी, बाजी पलट चुकी थी। लेकिन, हवा का रुख बदलना ज़रूरी था और भारतीय बल्लेबाज़ी चौकड़ी ने यह काम बखूबी किया।
सलामी बल्लेबाज़ केएल राहुल ने 90 रन बनाए लेकिन इसके लिए उन्हें 230 गेंदों का सामना करना पड़ा। चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए कप्तान शुभमन गिल ने 238 गेंदों में 103 रन बनाए। पाँचवें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए वाशिंगटन सुंदर ने 206 गेंदों में 101 रन बनाकर अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ा। छठे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए रवींद्र जडेजा ने 185 गेंदों में 107 रन बनाए।
भारतीय बल्लेबाज़ों ने एक के बाद एक कई रिकॉर्ड बनाए
यह पहली बार है जब किसी टेस्ट की दूसरी पारी में तीन भारतीय बल्लेबाज़ों ने शतक जड़े हों। वहीं, टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 46 साल बाद ऐसा हुआ है कि भारतीय टीम के चौथे, पाँचवें और छठे नंबर के बल्लेबाज़ों ने शतक जड़े हैं। पिछली बार ऐसा 1979 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ कानपुर टेस्ट में हुआ था।
जडेजा और सुंदर ने पाँचवें विकेट के लिए 334 गेंदों में 203 रनों की नाबाद साझेदारी की, जो 1936 के बाद मैनचेस्टर में भारत की ओर से 200 या उससे ज़्यादा रनों की दूसरी साझेदारी है। इस साझेदारी ने सीरीज़ का चौथा टेस्ट ड्रॉ कराने में अहम भूमिका निभाई।
इंग्लैंड को 46 साल पुराना अतीत याद दिलाया
अब इस सवाल के जवाब पर आते हैं कि उस 46 साल पुराने अतीत का क्या मतलब है, जिसकी याद भारत ने मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ कराकर इंग्लैंड को दिला दी है? यह 1979 में खेले गए भारत-इंग्लैंड टेस्ट से जुड़ा है। वह टेस्ट मैच अगस्त 1979 में लॉर्ड्स में खेला गया था, जिसमें भारत की पहली पारी सिर्फ़ 96 रनों पर ढेर हो गई थी, जिसका फ़ायदा उठाकर इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी 9 विकेट पर 419 रनों पर घोषित कर दी थी। और इस तरह वे पहली पारी में 323 रनों की विशाल बढ़त लेने में कामयाब रहे। उन मुश्किल परिस्थितियों में, भारत ने दूसरी पारी में 148 ओवर में 4 विकेट पर 318 रन बनाकर टेस्ट मैच ड्रॉ करा दिया, जिससे इंग्लैंड की जीत की उम्मीदें टूट गईं।
46 साल बाद, जुलाई 2025 में, मैनचेस्टर में भी ऐसा ही हुआ। पहली पारी में 311 रनों की बढ़त लेने वाले इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारत ने दूसरी पारी में 4 विकेट पर 425 रन बनाकर मैच ड्रॉ करा लिया।
मैनचेस्टर में 141 सालों में ऐसा पहली बार हुआ था। टीम इंडिया ने मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान दोनों पारियों में 350 से अधिक का आंकड़ा पार किया, जो ओल्ड ट्रैफर्ड के 141 साल के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। मैनचेस्टर में अब तक 86 टेस्ट खेले गए हैं, लेकिन टीम इंडिया दोनों पारियों में 350 से अधिक का स्कोर बनाने वाली एकमात्र टीम है।