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अगर मनोकामना नहीं हो रही है पूरी तो नंदी के कान में इस तरह बताए अपनी इच्छा

 

जयपुर। भगवान शिव को भोलेनाथ माना जाता है शिव का वाहन नंदी है, जहां भी शिव मंदिर होता है वहां शिव जी के साथ नंदी भी विराजमान रहते हैं। शिव पूजा करने के साथ नंदी की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों में माना जाता है कि अगर नंदी के कान में चुपके से अपने मन की बात को कहा जाएं तो मनोकामना पूरी होती है। आज हम इस लेख में आखिर नंदी के कान में मनोकामना क्यों कही जाती है,  इसके पीछे के रहस्य के बारे में बता रहें हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीलाद मुनि एक ब्रह्मचारी थे और उन्हें एक बालक खेत में पड़ा हुआ मिला, उस बालक को लेकर उसे अपने आश्रम ले आएं और उसका नाम नंदी रखा। वह बालक भगवान शिव का भक्त था, एक बार दो साधु श्रीलाद ​मुनि के आश्रम में आए और नंदी को देख कर उसके बारे में भविष्यवाणी की कि यह अल्पायु हैं। यह सुनकर नंदी को दुख हुआ और वो भगवान शिव की कठोर तपस्या करने लग गया। भगवान शिव नंदी की तपस्या से प्रसन्न हो कर नंदी को अजर – अमर होने का वरदान दिया।

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने सभी गणों में नंदी को गणाधिपति बनाया व नंदी का अभिषेक करवाया। इसके बाद भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया और कहा उनका निवास जहां होगा वहां पर नंदी भी अवश्य विराजमान होंगे।

इसके साथ ही जो व्यक्ति नंदी की पूजा करने के बाद उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगें उसकी सारी मनोकामना पूरी होगी। इस कारण से भक्त नंदी के कान में पूजा करने के बाद अपनी मनोकामना बोलते हैं और नंदी उनकी कामना को पूरी करते हैं।