×

महिलाएं क्यों पहनती हैं सावन में हरी चूङियां

 

हिंदू धर्म में सावन के पवित्र महीने का बहुत ही विशेष महत्व है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस वर्ष सावन का महीना 17 जुलाई से शुरू हो चुका है। इस पूरे महीने शिव मंदिरों में भगवान के दर्शन के लिए लोगों की भारी भीड़ लग रही है। भगवान भोलेनाथ के लाखों करोङों भक्त अपने ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के यत्न करते हैं।

सावन शुरू होते ही चारों तरफ सबकुछ हरा भरा दिखायी देता है। इस महीने सारी दुकानें हरी चूङियों से सज जाती हैं और सारी सुहागिन औरतें हरी चूङियों की खरीददारी करती हैं।सुहागिन महिलाएं हरे रंग का परिधान और चूड़ियां पहनकर भगवान शिव का दर्शन करने जाती हैं।

आखिर हरी चूड़ियां इस सावन के महीने ही क्यों होती हैं इतना खास। आइये जानते हैं सावन में सुहागिन महिलाएं क्यों पहनती हैं हरे रंग की चूड़ियां।

सावन में हरी चूड़ियों का महत्व
ज्यादातर सावन के महीने में सबसे अधिक बारिश होती है जिसके कारण चारों ओर हरियाली नजर आती है। और हरा रंग उल्लास का प्रतीक होता है जो मन को आनंदित रखता है।ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले बेल और धतूरे का रंग हरा होता है। प्रकृति का निर्माण करने वाले भगवान शिव हरे रंग से प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं सावन में हरी चूड़ियां पहनती हैं। इसके अलावा हरी चूड़ियों को सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है। हरी चूड़ियां पहनकर महिलाएं भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा कर उनको प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं।

विवाह से जुड़ा होता है हरा रंग 
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं को चूड़ियां पहनना जरुरी होता है और ज्यादतर महिलाएं सोने से बने कंगनों के साथ कांच की चूड़ियां पहनती है। वहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी के बाद और पहले दोनों समय चूड़ी पहनना जरूरी होता है कहा जाता है कि खाली हाथ किसी को पानी देना गलत होता है।

सावन के महीने में हरी चूड़ियां और हरे वस्त्र पहनने से महिलाओं को उनके पति की आयु लंबी होने का भगवान शिव जी से आशीर्वाद प्राप्त होता है।धार्मिक मान्यता के अनुसार महिला के चूड़ी पहनने का संबंध उसके पति और बच्चे से होता है। कहते है कि इससे इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कुछ धर्मों में तो चूड़ियों के संबंध में इतनी गहरी आस्था है कि महिलाएं चूड़ी बदलने में भी सावधानी बरतती है।कम से कम एक चूड़ी अवश्य ही हो।