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सावन के शुक्रवार को क्यों होती है मां लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी? वायरल वीडियो में जानिए पूजा की विधि और महत्व

 

सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित माना जाता है, लेकिन इस माह में शुक्रवार का विशेष महत्व देवी लक्ष्मी की पूजा के संदर्भ में भी होता है। विशेष रूप से महाकाल (भगवान शिव) के इस पावन महीने में जब वातावरण भक्तिभाव से भरा होता है, तब देवी लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन के शुक्रवार को विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की आराधना करने से आर्थिक समृद्धि, सौभाग्य और सुख-शांति का वास होता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/olTRYEfQffM?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/olTRYEfQffM/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="नवरात्रि व्रत कथा | इस व्रत से दूर होंगे सभी दुख, मिलेगी संतान और निरोगी काया | Navratri Vrat Katha" width="1250">
सावन और शुक्रवार का आध्यात्मिक संबंध

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह में शुक्रवार को “वरलक्ष्मी व्रत” का विशेष महत्व होता है। दक्षिण भारत में विशेष रूप से इस दिन को “वरलक्ष्मी व्रत” के रूप में मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में इसे सामान्य देवी पूजन के रूप में माना जाता है। मां लक्ष्मी को धन, वैभव, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना गया है, और उनका पूजन विशेष रूप से शुक्रवार को शुभ माना जाता है। जब ये पूजा महाकाल के माह यानी सावन में की जाए, तो इसका प्रभाव और भी शक्तिशाली हो जाता है।

देवी लक्ष्मी पूजा की विधि 
स्नान और शुद्धता: शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को अच्छे से साफ करें। देवी लक्ष्मी स्वच्छता की प्रतीक मानी जाती हैं, अतः पूजा स्थल और आसपास की सफाई का विशेष ध्यान रखें।

कलश स्थापना: तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते डालें और ऊपर नारियल रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं और इसे लाल कपड़े पर रखें।

मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें: एक लकड़ी के पाटे या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

श्रृंगार और अर्पण: देवी लक्ष्मी को चंदन, अक्षत, हल्दी, कुमकुम, लाल पुष्प, गुलाब या कमल के फूल अर्पित करें। सुगंधित धूप, दीप जलाएं।

मंत्र जाप: "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप 108 बार करें। चाहें तो श्रीसूक्त या लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करें।

भोग अर्पण: मां लक्ष्मी को खीर, मिठाई, पंचमेवा या चावल से बनी खीर का भोग लगाएं।

आरती और प्रार्थना: अंत में मां लक्ष्मी की आरती करें – "जय लक्ष्मी माता..." और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

दान का महत्व: पूजा के पश्चात किसी जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है।

पूजा का महत्व
इस दिन की पूजा न सिर्फ धन-संपत्ति में वृद्धि करती है, बल्कि घर में सौहार्द और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है। जो महिलाएं श्रद्धा भाव से इस व्रत को करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। साथ ही जिन व्यापारियों के व्यापार में रुकावट आ रही हो या परिवार में आर्थिक संकट चल रहा हो, वे सावन के शुक्रवार को मां लक्ष्मी की विशेष पूजा कर इन संकटों से छुटकारा पा सकते हैं।