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क्यों प्रथम पूज्य गणेश जी के गणेशाष्टकम् स्तोत्रं को माना जाता है सबसे शक्तिशाली ? 2 मिनट के वीडियो में जाने नियमित पाठ से मिलने वाले लाभ 

 

भारतवर्ष की धार्मिक परंपराओं में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके पूजन से ही होती है। चाहे वह विवाह हो, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय आरंभ हो या शैक्षणिक परीक्षा—गणपति बप्पा की स्तुति के बिना कुछ भी आरंभ नहीं किया जाता। इन्हीं भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है – गणेशाष्टकम। यह स्तोत्र आठ श्लोकों का एक दिव्य संकलन है, जिसकी रचना आदिशंकराचार्य ने की थी और इसे पढ़ने से अनेक लाभ बताए गए हैं।

<a href=https://youtube.com/embed/AQHjMP0_Q70?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/AQHjMP0_Q70/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="श्री गणेशाष्टकम् | Shri Ganesh Ashtakam | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा | Ganeshashtak Hindi Lyrics" width="695">
क्या है गणेशाष्टकम?
‘अष्टक’ शब्द का अर्थ है आठ। यानी गणेशाष्टकम आठ श्लोकों वाला एक स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और उनकी शक्तियों का भव्य वर्णन मिलता है। यह स्तोत्र न केवल स्तुति है, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा भी है जो भक्त को प्रभु गणपति के साक्षात सान्निध्य का अनुभव कराती है। इसके हर श्लोक में भगवान गणेश के विभिन्न रूपों—विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता, ज्ञानस्वरूप, एकदंत, गजानन, लम्बोदर आदि—का मंत्रमुग्ध कर देने वाला चित्रण किया गया है।

क्यों किया जाता है गणेशाष्टकम का पाठ?
गणेशाष्टकम का पाठ करने का मुख्य उद्देश्य होता है – जीवन के सभी विघ्नों का नाश और सिद्धियों की प्राप्ति। धार्मिक मान्यता है कि इस स्तोत्र का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली रुकावटें, मानसिक अशांति और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।

विघ्नों से मुक्ति:
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है। उनकी उपासना से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। जब व्यक्ति किसी कार्य में बार-बार असफल होता है या कोई प्रयास फलदायी नहीं होता, तब गणेशाष्टकम का पाठ चमत्कारी रूप से असर दिखाता है।

बुद्धि और विवेक का विकास:
विद्यार्थियों और ज्ञान-साधकों के लिए यह स्तोत्र अत्यंत उपयोगी माना गया है। गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह स्तोत्र उन्हें मानसिक स्थिरता और एकाग्रता प्रदान करता है।

मन की शांति और ऊर्जा की प्राप्ति:
गणेशाष्टकम के पाठ से न केवल मानसिक तनाव कम होता है, बल्कि यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसके श्लोकों की ध्वनि और छंद मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

संकल्प की सिद्धि:
जिन व्यक्तियों के कोई विशेष संकल्प होते हैं—जैसे नौकरी, विवाह, संतान या व्यवसाय संबंधी—वे यदि गणेशाष्टकम का पाठ नियमपूर्वक करें, तो उनकी इच्छाएं शीघ्र पूरी होती हैं।

कैसे करें गणेशाष्टकम का पाठ?
गणेशाष्टकम का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल के समय किया जा सकता है। पाठ के समय स्वच्छता और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखें। दीपक, अगरबत्ती और गणेश प्रतिमा के सामने बैठकर शांत चित्त से पाठ करें। इसे आप संस्कृत में पढ़ सकते हैं, और यदि संस्कृत कठिन हो तो इसका हिंदी अनुवाद भी पढ़ा जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है – श्रद्धा और भावना।

धार्मिक दृष्टि से विशेष अवसरों पर इसका महत्व
गणेश चतुर्थी, संकष्ट चतुर्थी, और बुधवार के दिन गणेशाष्टकम का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। इसके अलावा, किसी नए कार्य के आरंभ से पूर्व यदि यह पाठ किया जाए, तो कार्य में सफलता और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

गणेशाष्टकम केवल एक धार्मिक स्तोत्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा, भक्ति और आस्था को और भी प्रबल करती है। यह पाठ व्यक्ति को न केवल कठिनाइयों से उबारता है, बल्कि उसे आत्मिक बल, मानसिक शांति और सांसारिक सफलता भी प्रदान करता है। इसलिए जब भी जीवन में विघ्न आएं या किसी शुभ कार्य की शुरुआत करनी हो, तो गणेशाष्टकम का पाठ अवश्य करें—क्योंकि जहां गणपति का वास होता है, वहां कोई विघ्न टिक नहीं सकता।