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क्या है 'शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रं' ? वीडियो में जाने कैसे करता है आपके शत्रुओं का नाश और जीवन में लाता है शांति 

 

सनातन धर्म में भगवान शिव को संहारक, पालनकर्ता और करुणा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनकी स्तुति में रचे गए अनेक स्तोत्रों और मंत्रों में ‘रुद्राष्टकम स्तोत्र’ का विशेष स्थान है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि माना जाता है कि इसके नित्य पाठ से जीवन में आने वाले संकट, शत्रु बाधाएं और मानसिक कष्टों का नाश होता है। 'रुद्राष्टकम' एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा का गान करता है और उनके रौद्र रूप की आराधना करता है।

<a href=https://youtube.com/embed/eVeRwQyCmVA?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/eVeRwQyCmVA/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Shree Rudraashtakam | श्री रुद्राष्टकम | Most Powerful Shiva Mantra | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा" width="695">
क्या है रुद्राष्टकम स्तोत्र?

‘रुद्राष्टकम’ संस्कृत भाषा में लिखा गया एक स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव के आठ श्लोकों के माध्यम से उनका गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है और "श्रीरामचरितमानस" के उत्तरकांड में इसका उल्लेख मिलता है। इसमें शिव के अनेक रूपों, उनके सौंदर्य, उनके रौद्र और शांत रूप, कैलाशवासी स्वरूप और उनके त्रिनेत्र आदि का अत्यंत भव्य और प्रभावशाली वर्णन किया गया है।

रुद्राष्टकम का पाठ क्यों है विशेष?
रुद्राष्टकम का पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक शक्ति केंद्रित करने वाला साधन भी है। इसमें शिव के ऐसे रूपों की स्तुति की गई है, जो सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और संहारक तीनों भूमिकाओं को दर्शाते हैं। माना जाता है कि यह स्तोत्र शिव को अत्यंत प्रिय है और इसके पाठ से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।विशेष रूप से जब जीवन में कोई व्यक्ति शत्रु बाधा, मानसिक तनाव, कोर्ट-कचहरी के झमेले, नौकरी या व्यापार में विघ्न, अथवा आत्मिक शांति की तलाश में होता है, तब यह स्तोत्र संजीवनी की तरह कार्य करता है।

शत्रुओं का विनाश और भय से मुक्ति
ज्योतिषीय मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को शत्रुओं की तरफ से बार-बार नुकसान हो रहा है, या वह किसी षड्यंत्र, कोर्ट केस, राजनीतिक विरोध या गुप्त शत्रुओं की वजह से परेशान है, तो रुद्राष्टकम का नित्य पाठ करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। भगवान शिव अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं और उन्हें शत्रु बाधाओं से मुक्त करते हैं।यह स्तोत्र शिव के रौद्र रूप की आराधना करता है, जो बुराई और अधर्म का नाश करने वाले हैं। जब भक्त निश्चल भाव से इस स्तोत्र का पाठ करता है, तो शिव स्वयं उसकी रक्षा करते हैं और जीवन से भय, भ्रम, रोग तथा शत्रुता का अंत करते हैं।

जीवन में लाता है शांति और समृद्धि
रुद्राष्टकम का पाठ केवल शत्रु विनाश के लिए ही नहीं, बल्कि आंतरिक शांति, आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। शिव को जगत के आदि योगी कहा गया है, और उनके ध्यान, स्तोत्र एवं जाप से मानसिक स्थिरता, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल में वृद्धि होती है।यदि किसी व्यक्ति को मानसिक बेचैनी, अनिद्रा, आत्मविश्वास की कमी या पारिवारिक कलह की समस्या हो, तो उसे प्रातः या रात्रि के समय एकाग्रचित होकर रुद्राष्टकम का पाठ अवश्य करना चाहिए।

रुद्राष्टकम पाठ की विधि
रुद्राष्टकम का पाठ करने के लिए विशेष नियम नहीं हैं, लेकिन यदि इसे विधिपूर्वक किया जाए तो प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, एक शांत स्थान पर बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें और दीपक जलाकर इस स्तोत्र का पाठ करें। चाहें तो रुद्राक्ष की माला से जाप करें या शिवलिंग के समक्ष गाएं। सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि या किसी शुभ तिथि पर इसका पाठ विशेष फलदायक होता है।

सरल और शक्तिशाली शब्दों में रचित
इस स्तोत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह संस्कृत के अत्यंत सहज छंद में लिखा गया है, जिसे कोई भी व्यक्ति थोड़े अभ्यास के बाद याद कर सकता है। इसके प्रत्येक श्लोक में शिव की अपूर्व महिमा, उनकी निराकारता, ज्ञानस्वरूप और अनंतत्व का अत्यंत प्रभावशाली वर्णन है।