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Navgrah kavach mantra: नवग्रह कवच मंत्र के जाप से होते हैं कई सारे फायदें

 

हिंदू धर्म और ज्योतिषशास्त्र में नवग्रह को बहुत ही खास माना जाता हैं वही नवग्रहों के आधार पर मनुष्य के जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में भविष्यवाणियां संभव हो पाती हैं नवग्रहों की कुंडली में अच्छी और खराब स्थिति के कारण ही मनुष्य के जीवन में कई तरह के उतार चढ़ाव आते हैं ग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं जिसमें नवग्रहें के मंत्र भी शामिल हैं तो आज हम आपको नवग्रह कवच के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

वही नवग्रह कवच का वर्णन यामल तंत्र में किया गया हैं इस नवग्रह कवच का पाठ हर दिन श्रद्धापूर्वक करने से मनुष्य को रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, अशुभ प्रभाव, शत्रु बाधा आदि से मुक्ति मिल सकती हैं मंत्रों के जाप में सदैव उसके उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी होता हैं। वरना मंत्र का उचित फल प्राप्त नहीं हो पाता हैं।

जानिए नवग्रह कवच मंत्र—

ओम शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:।

मुखमङ्गारक: पातु कण्ठं च शशिनन्दन:।।

बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनंदन:।

जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनंदन:।।

पादौ केतु: सदा पातु वारा: सर्वाङ्गमेव च।

तिथयोऽष्टौ दिश: पान्तु नक्षत्राणि वपु: सदा।।

अंसौ राशि: सदा पातु योगश्च स्थैर्यमेव च।

सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत्।।

रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्।

श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते।।

य: करे धारयेन्नित्यं तस्य रिष्टिर्न जायते।।

पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते।

मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्।

जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय:।।

एतां रक्षां पठेद् यस्तु अङ्गं स्पृष्ट्वापि वा पठेत्।।