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क्या हुआ जब धूर्त रावण ने महादेव से वरदान में माता पार्वती को ही मांग लिया, आप भी जानें

 

जयपुर। रावन को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। लंकापति रावण परम शिव भक्त था। रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न किया।  रावण की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने रावण से वरदान मांगने को कहा। जिसके बाद  रावण ने भोलेनाथ से अपने लिए लंका को मांगा जिसके बाद रावण ने अपना निवास स्थान बना लिया।

 

लेकिन इसके बाद रावण ने अपनी धूर्तता का परिचय देते हुए भगवान शिव से वरदान में माता पार्वती को ही मांग लिया। रावण का मानना था की वह अगर माता पार्वती को अपने साथ में लंका ले जाएंगा तो भगवान भोलेनाथ भी लंका चले आएंगे। जिसके बाद भगवान शिव ने रावण की भक्ति से विवश होकर देवी पार्वती को रावण को सौंप दिया।

जब रावण माता पार्वती को लंका की ओर लेकर जा रहा था तभी मार्ग में रावण की मुलाकात नारद मुनि से हुई। नारद ने रावण को बताया कि वे माता पार्वती की छाया लेकर जा रहा हैं, असली माता पार्वती को तो भगवान शिव ने पातललोक में मय राक्षस के पास छिपा दिया है।

जिसको सुनकर रावण को शंका हुई और उसने माता पार्वती को छाया समझकर छोड़ दिया और स्वयं पाताल लोक चला गया। जहां रावण की  भेंट मंदोदरी से हुई जो मय दानव की पुत्री थी।  रावण मंदोदरी को देख कर उसकी ओर आकर्षित हो गया और उसने मंदोदरी की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ बलपूर्वक विवाह कर लिया। जिसके बाद रावण लंका की ओर चला गया।