इस पौराणिक वीडियो में देखे भगवान शिव के इस अनोखे भक्त की कथा, जब महाकाल को प्रसन्न करने के लिए चढ़ा दी अपनी आंखें
भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए सावन का महीना बेहद शुभ माना जाता है। सावन में महादेव की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।वैसे तो प्राचीन काल में महादेव के कई भक्त थे, जिनमें लंकापति रावण भी शामिल था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के अलावा एक महान शिव भक्त था, जिसने शिव को अपनी आँख तक अर्पित कर दी थी। कन्नप्पा (kannappa katha) शिकारी समुदाय से थे। उनका असली नाम थिन्नन था। ऐसे में आइए इस शिव भक्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कन्नप्पा भगवान शिव के महान भक्तों में शामिल हैं। वे एक शिकारी समुदाय से थे। उनकी कथा श्रीकालहस्ती मंदिर से जुड़ी है। उन्होंने अपने जीवनकाल में महादेव की आराधना की थी। वे अपनी शिव भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।धार्मिक मान्यता के अनुसार, कन्नप्पा शिकारी समुदाय से थे। एक बार कन्नप्पा शिकार के लिए दोर्ना श्रीकालहस्ती पहुँचे। इस दौरान उन्हें एक शिवलिंग मिला, जिसकी वे पूजा करते थे। उन्हें विधि-विधान से पूजा करना नहीं आता था। वह जंगल से फूल लाकर बिना धोए शिवलिंग पर चढ़ाता था और शिकार के बाद शिवलिंग पर कच्चा मांस चढ़ाता था।
जब पुजारी ने एक बार शिवलिंग को अपवित्र देखा तो वह क्रोधित हो गया। उसने सोचा कि शिवलिंग को अपवित्र करने का काम किसी जानवर ने किया है। लेकिन हर दिन शिवलिंग को अपवित्र देखकर उसे लगता था कि यह काम किसी इंसान ने किया है। ऐसे में पुजारी परेशान रहने लगा, तब महादेव ने संदेश दिया कि शिवलिंग को अपवित्र करने का काम मेरे भक्त ने किया है। वह भक्त पूजा करना नहीं जानता, लेकिन मैं उसकी भक्ति से प्रसन्न हूँ।
एक दिन कण्णप्पा शिवलिंग की पूजा करने गया, तो उसने देखा कि शिवलिंग से रक्त बह रहा है। यह देखकर उसे लगा कि आँख में चोट लग गई है। ऐसे में उसने रक्तस्राव रोकने के लिए जड़ी-बूटी लगाई। इसके बाद भी रक्त नहीं रुका। इसके बाद कण्णप्पा ने अपनी एक आँख निकालकर शिवलिंग पर अर्पित कर दी। इसके बाद भी रक्तस्राव नहीं रुका, जिसके बाद उसने अपनी दूसरी आँख निकालने का फैसला किया। लेकिन इसी बीच भगवान शिव ने उसे रोक दिया।