×

हनुमान चालीसा का पाठ करके बनाना चाहते हैं संबंध? वीडियो में जानिए धार्मिक दृष्टिकोण से यह सही है या बड़ा दोष

 

भारतीय धार्मिक परंपराओं में हर अनुष्ठान और मंत्र जाप के साथ कुछ मर्यादाएं और आचार-संहिता जुड़ी होती हैं। इन्हीं में से एक लोकप्रिय और शक्तिशाली स्तुति है — हनुमान चालीसा, जो भगवान हनुमान की भक्ति में लीन होकर श्रद्धा और संकल्प के साथ पढ़ी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में यह सवाल कई युवा और श्रद्धालु वर्गों के बीच चर्चा का विषय बना है कि "हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद शारीरिक संबंध बनाना उचित है या नहीं?"यह विषय न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि मानसिक शुद्धता, साधना की गहराई और सामाजिक सोच से भी गहराई से संबंध रखता है। आइए जानें इस विषय को व्यापक दृष्टिकोण से।

<a href=https://youtube.com/embed/yQ8AEqUOB4Y?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/yQ8AEqUOB4Y/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="अयोध्या हनुमान गढ़ी, सालासर बालाजी, मेहंदीपुर बालाजी, जाखू और कष्टभंजन हनुमान | Salasar, Mehndipur" width="695">
1. धार्मिक दृष्टिकोण से हनुमान चालीसा और ब्रह्मचर्य

हनुमान जी को ब्रह्मचारी देवता माना गया है। उनकी पूजा विशेषकर शक्ति, साहस, संयम और ब्रह्मचर्य के प्रतीक के रूप में होती है।ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल शारीरिक संयम ही नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म से भी पवित्रता बनाए रखना है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा के पाठ के दौरान या तुरंत बाद शुद्धता और सात्त्विकता बनाए रखना आवश्यक होता है।कई संतों और धार्मिक गुरुओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद किसी भी प्रकार की कामुक गतिविधियों से बचना चाहिए, क्योंकि वह मानसिक स्थिति उस समय शुद्ध, एकाग्र और उन्नत होती है।ऐसे में यदि पाठ के तुरंत बाद संबंध बनाए जाते हैं, तो मानसिक ऊर्जा का वह स्तर भौतिक रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिससे साधना का प्रभाव कम हो सकता है।

2. क्या यह कोई कठोर नियम है?
महत्वपूर्ण बात यह है कि धार्मिक ग्रंथों में कहीं भी स्पष्ट रूप से यह नहीं लिखा गया है कि हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद संबंध बनाना पाप है या निषिद्ध है। लेकिन यह अवश्य कहा गया है कि जब भी आप हनुमान जी की आराधना करें, तो शारीरिक और मानसिक रूप से पवित्र रहें।अतः यह नियम नहीं बल्कि आध्यात्मिक अनुशासन और श्रद्धा का विषय है।

3. सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ को एक गंभीर और मर्यादित प्रक्रिया माना जाता है। विशेषतः मंगलवार और शनिवार जैसे दिनों में जब हनुमान जी का व्रत रखा जाता है, तो अधिकतर श्रद्धालु उपवास, ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करते हैं।इस संदर्भ में, संबंध बनाने की क्रिया को एक सांसारिक और भौतिक क्रिया माना गया है, जबकि हनुमान चालीसा का पाठ आध्यात्मिक उन्नति और ऊर्जा जागरण की प्रक्रिया है।इसी कारण सामाजिक रूप से इसे वर्जित तो नहीं, पर अनुचित और ध्यान भटकाने वाला माना जाता है।

4. मानसिक और ऊर्जा की दृष्टि से क्या असर होता है?
आधुनिक मनोविज्ञान और ऊर्जा विज्ञान की मानें, तो किसी भी धार्मिक पाठ या मंत्रोच्चार के समय व्यक्ति की मस्तिष्कीय तरंगें उच्च स्तर पर कार्य करती हैं। इससे ध्यान, आत्मबल और मानसिक ऊर्जा बढ़ती है।
वहीं, शारीरिक संबंध में ऊर्जा का एक बड़ा भाग बाहर की ओर जाता है। इसलिए जब आप हनुमान चालीसा जैसे शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ करते हैं और तुरंत बाद संबंध बनाते हैं, तो ऊर्जा का वह प्रवाह रुक या बिखर सकता है।
कुछ योगाचार्य इस स्थिति को ऊर्जा की दिशा में अवरोध मानते हैं। अतः ऊर्जा को स्थिर और ऊपर उठाने के लिए संयम जरूरी बताया जाता है।

5. क्या विवाहित जोड़ों के लिए भी यह नियम लागू होता है?
यह सवाल भी अक्सर उठता है कि क्या विवाहित व्यक्ति भी पाठ के बाद संबंध बनाने से बचें?यहां फिर वही बात लागू होती है — यदि आपने हनुमान चालीसा पाठ को सिर्फ एक धार्मिक कर्मकांड मानकर किया है, तो यह सामान्य दैनिक जीवन के अंतर्गत आता है।लेकिन यदि आप इसे साधना, आत्मिक बल और हनुमान जी की कृपा प्राप्ति का माध्यम मानते हैं, तो संयम और ब्रह्मचर्य आपके उद्देश्य को बल देगा।

निष्कर्ष: निर्णय आपकी श्रद्धा और उद्देश्य पर निर्भर
हनुमान चालीसा एक दिव्य और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो केवल पढ़ने से नहीं, बल्कि भाव, नियम और आचरण से फलदायी होता है।पाठ के बाद संबंध बनाना न तो शास्त्रों में पाप कहा गया है और न ही कोई सीधा निषेध, लेकिन यह ज़रूर कहा गया है कि पवित्रता और संयम से किया गया पाठ अधिक फलदायक होता है।

इसलिए यह फैसला व्यक्ति विशेष की श्रद्धा, साधना के उद्देश्य और जीवनशैली पर निर्भर करता है।अगर आप हनुमान जी से आत्मबल, रोगमुक्ति, भय नाश और दिव्य कृपा की कामना करते हैं, तो जितना हो सके पाठ के बाद कुछ समय तक संयम और सात्त्विकता बनाए रखें।