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व्यक्ति में ऊर्जा का संचार करती है भगवान विश्वकर्मा की उपासना

 

आज विश्वकर्मा पूजा का पर्व माना जा रहा हैं यह विश्वकर्मा पूजा बहुत ही खास और महत्वपूर्ण मानी जाती हैं वही सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा, वास्तुदेव और माता अंगिरसी के पुत्र हैं वह अपने पिता की भांति वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने। जिन कर्मों से जीवन संचालित होता हैं वही उन सभी के मूल में भगवान विश्वकर्मा हैं उनका पूजा हर मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता हैं भगवान विश्कर्मा को देव शिल्पी भी कहा जाता हैं कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। वही इसलिए इस दिन को भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में जाना जाता हैं।

ऐसा कहा जाता हैं कि प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां थी, सभी को भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही बनाई गई थी। स्वर्ग लोक, लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर को भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही रचित माना जाता हैं वही इंद्रपुरी,यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, शिव मंडलपुरी और सुदामा पुरी आदि का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने ​ही किया था। भगवान विश्वकर्मा ने जल पर चलने योग्य खड़ाऊ भी तैयार ​की थी। उन्होंने महर्षि दधीचि की हड्डियों से देवताओं के राजा इंद्र के लिए वज्र भी बनाया थं भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी भगवान​ विश्वकर्मा ने ही किया था।

वही पुष्पक विमान, भगवान शिव के त्रिशूल का निर्माण भी भगवान​ विश्वकर्मा ने किया था। वही हिंदू धर्म की मान्यता यह भी हैं कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से धन धान्य और सुख समृद्धि की कमी जीवन में नहीं होती हैं इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों, मशीनों की पूजा की जाती हैं।

विश्वकर्मा पूजा बहुत ही खास और महत्वपूर्ण मानी जाती हैं वही सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा, वास्तुदेव और माता अंगिरसी के पुत्र हैं वह अपने पिता की भांति वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने। जिन कर्मों से जीवन संचालित होता हैं वही उन सभी के मूल में भगवान विश्वकर्मा हैं उनका पूजा हर मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता हैं भगवान विश्कर्मा को देव शिल्पी भी कहा जाता हैं व्यक्ति में ऊर्जा का संचार करती है भगवान विश्वकर्मा की उपासना