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इस तारीख को मनाई जाएगी वरूथिनी एकादशी, दशमी से आरम्भ हो जाते हैं एकादशी व्रत के सभी नियम

 

हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं वही कई सारी एकादशी भी होती हैं। उनमें सभी व्रत और उपवासों का इस धर्म में बड़ा ही महत्व होता हैं। वही हर व्रत और उपावास अपनी अलग अलग महिमा और महत्व रखता हैं। वही ऐसे व्रतों में से एक व्रत हैं वरूथिनी एकादशी का व्रत, जो कि वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता हैं। वही इस व्रत को सौभाग्य प्रदान करने वाला व्रत भी माना जाता हैं इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु के वाराह अवतार की पूजा अर्चना और विशेष उपासना की जाती है। इस व्रत को रखने वाले भक्तों का भगवान श्री हरि सभी कष्ट और संकटों से निवारण कर देते हैं और सुख समृद्धि भी प्रदान कर देते हैं। मगर आपको बता दें,कि इस व्रत और उपवास को नियमानुसार रखा जाना बहुत ही जरूरी माना जाता हैं। इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति की मनवांछित फल की प्राप्ति होती हैं वही मान्यताओं की माने जो इस व्रत को रखने से इस लोक के साथ साथ परलोक में भी पुण्य कि प्राप्ति हो जाती हैं।

वही वरूथिनी एकादशी का व्रत उपवास रखने से एक दिन पहले मतलब दशमी तिथि से ही उपवास रखने वाले व्यक्तियों को नियमों का अनुपालन करना पड़ता हैं। ऐसे दस नियम हें जिनका पालन दशमी को करना होता है।

वही अगर आपको वरूथिनी एकादशी का व्रत धारण करना हैं,तो सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और फिर उपवास रहने का पूर्ण संकल्प करें। इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना करें। घड़े पर लाल रंग का वस्त्र बांधकर, उस पर भगवान श्री विष्णु जी की पूजा, धूप दीप और फूलों से की जाती हैं।