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सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज! कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहिताओं को मिलता है अखंड सौभाग्य, वीडियो में जाने पूजा विधि 

 

हिंदू धर्म में सावन का महीना सबसे खास माना जाता है। इस पूरे महीने में शिव और पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। सोमवार को जहां शिव की पूजा की जाती है, वहीं मंगलवार को माता गौरी की पूजा का विधान है। इस दिन को मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 29 जुलाई यानी आज सावन का तीसरा मंगलवार है, जो मंगला गौरी व्रत के लिए बेहद खास दिन है। मंगला गौरी व्रत सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए उत्तम माना जाता है। इसे मुरकत व्रत भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और पति की आयु लंबी होती है।

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मंगला गौरी व्रत का महत्व
इस व्रत के बारे में मान्यता है कि इससे विवाह में आ रही देरी दूर होती है, सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है और वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। यह व्रत उन महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है जिनका वैवाहिक जीवन कठिन दौर से गुजर रहा हो या जिनकी कुंडली में मांगलिक योग हो।

पूजा विधि
व्रत के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। आटे का दीपक बनाएँ, जिसमें सोलह बत्तियों वाला दीपक जलाएँ। अब माता के समक्ष सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लौंग, इलायची, सुहाग का सामान और मिठाई अर्पित करें।

इसके बाद मंगला गौरी यंत्र स्थापित करें और निम्न मंत्र का जाप करें:
कुंकुमागुरुलिप्तांग सर्वभरणभूषितम्।
नीलकंठप्रियं गौरी वन्देहं मंगलाह्वायम्।

इस मंत्र का जितना अधिक जाप किया जाता है, उतना ही शुभ माना जाता है। पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है, फिर आरती की जाती है। अंत में अपनी सास को सोलह लड्डुओं का भोग लगाएँ और शेष सामग्री किसी ब्राह्मण को दान कर दें।

किसे यह व्रत करना चाहिए?
विवाहित महिलाओं के अलावा, यह व्रत उन महिलाओं को भी करना चाहिए जिनके विवाह में देरी हो रही है। साथ ही, जिन पुरुषों की कुंडली में मांगलिक दोष है, उन्हें भी इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे मांगलिक दोष का प्रभाव कम होता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।