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भारत और जापान के रिश्तों की आध्यात्मिक डोर बन चुका यह मंदिर, लीक्ड वीडियो में जानिए कैसे जुड़ती है दोनों देशों की आस्था ?

 

जापान के टोक्यो में भगवान गणेश का एक ऐसा मंदिर है जिसकी चर्चा दूर-दूर तक होती है। यह भारत और जापान दोनों को सांस्कृतिक रूप से जोड़ता है। यह मंदिर जापान के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो हज़ारों साल पुराना है। साथ ही, बप्पा के भक्तों के लिए भी इसका बहुत महत्व है। लोग दूर-दूर से इस धाम के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर पूरी तरह से जापानी देवता कांगितेन या भगवान गणेश के जापानी रूप को समर्पित है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/w-rFaeiFsEU?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/w-rFaeiFsEU/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Moti Dungri Ganesh Temple Jaipur | मोती डूंगरी मंदिर का इतिहास, कथा, मान्यता, चमत्कार और लाइव दर्शन" width="1250">

इस तरह जापान में हिंदू मान्यताओं का विस्तार हुआ

आपको बता दें, जापान में भगवान गणेश को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे - 'कांगितेन', 'शोटेन', 'गणबाची' (गणपति), या 'बिनायकातेन'। उनकी पूजा का प्रारंभिक इतिहास 8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी में शुरू हुआ। यहाँ गणेश की पूजा ओडिशा में उभरे बौद्ध धर्म के तांत्रिक रूप का हिस्सा है। यह प्रथा पहले चीन और फिर जापान पहुँची। जापान में शिंगोन बौद्ध धर्म की स्थापना एक जापानी विद्वान कुकाई ने की थी।

चावल का बियर चढ़ाया जाता है

हिंदू देवताओं और बौद्ध धर्म के बारे में गहराई से जानने के बाद, कुकाई एक दशक बाद वापस लौटे, जिसके बाद उन्होंने जापान में कई हिंदू देवी-देवताओं और बौद्ध धर्म के तांत्रिक रूप का भी परिचय कराया। आपको बता दें, इस धाम में दर्शन के दौरान लोग सौभाग्य और समृद्धि के लिए चावल का बियर और मूली चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि इस धाम में दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही, बप्पा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।