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सात साल बाद मातंग योग में होली, आज रात नौ बजे के बाद होलिका दहन

 

जयपुर। आज होलिका दहन का पर्व पूरे देश में हर्षोंउल्लास से मनाया जाएगा, आज शाम को होलिका दहन करने के बाद कर  रंग और उल्लास के साथ होली का पर्व मनाया जाएगा। होलिका के दिन लोग अपनी समस्याओं के निवारण के लिए कई सारे उपाय करते हैं जिससे घर में सुख शांति बनी रहती है।

आज होलिका दहन के दिन भद्रा रहने से होलिका दहन रात के नौ बजे किया जाएगा। इस बार होली पर काफी समय के बाद दोनों ही दिन यानी होलिका व धुलड़ी के दिन मातंग योग बन रहा है। आज पूरे दिन भद्रा रहने से रात्रि के नौ बजे के बाद होलिका दहन किया जाएगा।

इस बार होलिका दहन पर सात साल के बाद बृहस्पति उच्च प्रभाव में होगा व दुल्हैंडी यानी रंगोत्सव भी गुरुवार यानि बृहस्पति देव के दिन में होगा। आज भद्रा पर होलिका दहन की पूजा ना करें इसके साथ ही  होलिका दहन का मुहूर्त किसी भी त्योहार के मुहूर्त से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

होलिका दहन को वैदिक काल में नवान्नेष्टि कहा जाता था, इसमें अधपके अन्न का हवन कर प्रसाद बांटने का विधान है। इसके साथ ही होलिका की अग्नि में जौ की बाली,  सरसों का उबटन,  गुझिया, फल,  मिठाई,  गुलाल से होली का पूजन करते हैं।

आज रात होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 8:58 बजे से 12:13 बजे तक है।

भद्रा पूंछ:
शाम 5:24 से 6:25 बजे तक।
भद्रा मुख:
शाम 6:25से रात 8:07बजे तक।

भद्रा में होलिका दहन नहीं होता है, शास्त्रों में भद्रा को विघ्नकारक माना जाता है। इस दौरान होलिका दहन करने से हानि एवं अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस काल में होलिका दहन करने की मनाही है। विशेष परिस्थितियों में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है।