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जानिए किन-किन योग में शादी करना साबित हो सकता है घातक

 

जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं। मगर कुछ बातें ऐसी भी होती हैं, जिनके होने पर विवाह को टालना चाहिए या इन परिस्थितियों में विवाह करने से बचना चाहिए, नहीं तो ऐसी शादी आपको बरबाद तक कर सकती हैं।

वर कन्या का गोत्र एक ही हो वर या फिर कन्या में से एक मांगलिक हो दूसरा मांगलिक न हो और मांगलिक दोष का परिहार भी न हो रहा हो। गुण मिलान 18 से कम हो रहा हो।

प्रथम गर्भ के पुत्र और कन्या दोनों का जन्म नक्षत्र, जन्म चंद्र मास और जन्म तिथि एक ही हो। वही जेष्ठ पुत्र, जेष्ठ कन्या और जेष्ठ मास इस प्रकार तीन जेष्ठ में विवाह नहीं करना चाहिए।

प्रथम गर्भीय वर कन्या को ही जेष्ठ संतान समझना चाहिए। प्रथम गर्भ नष्ट के उपरांत गर्भ की जीवित संतान जो व्यवहारत जेष्ठ हैं। मगर शास्त्रत वह जेष्ठ नहीं कही गई दो सहोदर भाइयों में एक के छर सौर मास तक दूसरे का विवाह नहीं करना चाहिए।

पुत्र वधु के घर में प्रवेश के छह महीने के अदंर कन्या की विदाई नहीं करनी चाहिए। जब आकाश में बृहस्पति और शुक्र अस्त चल रहे हो और इनका बालत्य या वृद्धत्व दोष चल रहा हो उस वक्त विवाह वर्जित होता हैं।

वही जब मलमास चल रहा हो। जब देवशयन चल रहा हो तथा स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त भी नहीं मिले। जब सूर्य अपनी नीच राशि तुला में विचरण कर रहे हो।

होलाष्टक में विवा​ह वर्जित होता हैं। वही जन्मपत्री मिलान में गण दोष, भ्रकूट यानी वर वधु की राशियां आपस में छठी आठवीं पड़ती हो। व नवम— पंचम दोष मतलब वर—वधु की राशि आपस में नवी और पांचवी पड़ रही हैं।

वही द्विदादर्श दोष हो यानी वर—वधु की राशियां आपस में दूसरी और बारहवी पड़ती हो। वैर योनि दोष हो नाड़ी दोष हो यानी वर—वधु की राशि नक्षत्र और चरण एक ही हो।