×

भारत नहीं इस देश में है दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, जहाँ देखने को मिलती है रामायण-महाभारत की झलक 

 

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद के बीच, भगवान विष्णु की मूर्ति को तोड़े जाने की एक घटना सामने आई है। इस पर दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आई हैं। भारत ने भी अनलोंग वेंग में बुलडोजर से भगवान विष्णु की मूर्ति को गिराए जाने की घटना की निंदा की है। भारत ने इसे बौद्ध और हिंदू अनुयायियों की धार्मिक विरासत पर हमला बताया है। मूर्ति तोड़े जाने की इस घटना ने कंबोडिया को सुर्खियों में ला दिया है। कंबोडिया दुनिया के सबसे बड़े मंदिर का घर है। आइए आपको कंबोडिया के 5 सबसे बड़े और ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में बताते हैं।

अंगकोर वाट - दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर:
दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर कंबोडिया में स्थित है। अंगकोर वाट का यह मंदिर वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था। राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने 1113 और 1150 के बीच इस विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर न केवल पूजा का केंद्र था, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक भी था। यह 162.6 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक परिसर बनाता है। मंदिर में पांच ऊंची मीनारें हैं। मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के शानदार दृश्य उकेरे गए हैं। मंदिर की दीवारों पर अप्सराओं और देवताओं की 1500 से ज़्यादा मूर्तियां हैं। वर्तमान में, अंगकोर वाट मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।

बायोन मंदिर:
बायोन मंदिर कंबोडिया के सिएम रीप के अंगकोर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में राजा जयवर्मन सप्तम ने करवाया था। इस मंदिर में रहस्यमयी मुस्कुराते हुए पत्थर के चेहरे हैं। यह मंदिर खमेर साम्राज्य के इतिहास और संस्कृति की झलक दिखाता है। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी में ऐतिहासिक लड़ाइयों को दर्शाया गया है। यह मंदिर मूल रूप से एक महायान बौद्ध मंदिर था।

बंतेय स्रेई मंदिर:
बंतेय स्रेई मंदिर कंबोडिया का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर हिंदू देवी-देवताओं शिव और पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर अंगकोर क्षेत्र में फ्नोम देई पहाड़ी के पास स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में लाल बलुआ पत्थर से किया गया था। इसे खमेर कला का रत्न माना जाता है। इसे 967 ईस्वी में पवित्र किया गया था। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका निर्माण शासकों ने नहीं करवाया था। इसे राजेंद्रवर्मन II के दरबारी विष्णु कुमार और यज्ञवराह ने बनवाया था।

ता प्रोहम मंदिर -
ता प्रोहम मंदिर कंबोडिया के अंकोर में स्थित है। यह मंदिर पेड़ों की जड़ों और पत्थरों के अद्भुत मेल के लिए जाना जाता है। इसे 12वीं सदी के आखिर और 13वीं सदी की शुरुआत में बनाया गया था। राजा जयवर्मन VII ने इस मंदिर को एक बौद्ध मठ और विश्वविद्यालय के रूप में बनवाया था। मंदिर की दीवारों पर डायनासोर जैसी नक्काशी है।

बंतेय कदेई मंदिर -
बंतेय कदेई मंदिर कंबोडिया के मशहूर मंदिरों की लिस्ट में शामिल है। बंतेय कदेई को "भिक्षुओं की कोठरियों का किला" कहा जाता है। यह एक बौद्ध मंदिर है। इसे 12वीं सदी के बीच और 13वीं सदी की शुरुआत में बनाया गया था। इसे जयवर्मन VII के शासनकाल में बनवाया गया था। यह मंदिर बेयोन वास्तुकला शैली में बना है।