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भोलेनाथ की कृपा पाने का सरल मार्ग, 2 मिनट के दुर्लभ वीडियो में जाने शिव रुद्राष्टकम का पाठ महाशिवरात्रि पर क्यों माना जाता है सबसे प्रभावशाली ?

 

सावन का पवित्र महीना और विशेष रूप से महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन अगर सच्चे मन से भोलेनाथ की भक्ति की जाए, तो वह अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनके सभी कष्ट हर लेते हैं। ऐसे में ‘शिव रुद्राष्टकम’ का पाठ एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे महाशिवरात्रि पर विशेष रूप से पढ़ने की परंपरा है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा, उनके स्वरूप और शक्ति का बेहद सुंदर वर्णन करता है, जिसे पढ़ने और सुनने मात्र से ही मन और आत्मा शिवमय हो जाती है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/eVeRwQyCmVA?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/eVeRwQyCmVA/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Shree Rudraashtakam | श्री रुद्राष्टकम | Most Powerful Shiva Mantra | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा" width="1250">
रुद्राष्टकम की रचना
'शिव रुद्राष्टकम' की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह आठ श्लोकों का एक स्तोत्र है, जो संस्कृत में लिखा गया है और भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। इसमें शिवजी के रौद्र और शांत दोनों ही रूपों का वर्णन किया गया है। ‘रुद्र’ यानी भगवान शिव और ‘अष्टकम’ का अर्थ आठ श्लोकों का संग्रह – इस प्रकार यह स्तोत्र शिव जी की महिमा का सार है।

क्यों करें रुद्राष्टकम का पाठ?
महाशिवरात्रि पर शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने से मन की चंचलता समाप्त होती है और व्यक्ति को आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। यह स्तोत्र न केवल भक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि कई प्रकार के मानसिक, पारिवारिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है। मान्यता है कि रुद्राष्टकम का नियमित पाठ करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पाठ की विधि
महाशिवरात्रि के दिन रुद्राष्टकम का पाठ करने के लिए प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल और गंगाजल अर्पित करें। फिर रुद्राष्टकम का श्रद्धा भाव से उच्चारण करें। चाहें तो इसका श्रवण भी कर सकते हैं, क्योंकि इस स्तोत्र का श्रवण भी पुण्यदायक माना जाता है।

रुद्राष्टकम पाठ का अर्थ और भावना
रुद्राष्टकम के प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव की विभिन्न विशेषताओं का वर्णन है – उनके त्रिनेत्र, गले का सर्प, जटाओं में गंगा, मृग चर्म, डमरू और त्रिशूल जैसे चिह्न, तथा उनके नटराज स्वरूप तक। यह स्तोत्र भक्त और भगवान के बीच के रिश्ते को गहराई से जोड़ता है और ध्यान की अवस्था में ले जाता है।

चमत्कारी लाभ
नकारात्मक ऊर्जा का नाश – रुद्राष्टकम पाठ से घर और आसपास की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
बीमारियों से मुक्ति – विशेष रूप से मानसिक अशांति, भय और अनिद्रा जैसी समस्याओं में यह पाठ चमत्कारिक रूप से काम करता है।
राहु-केतु दोष से राहत – जो जातक ज्योतिषीय दृष्टि से राहु-केतु या कालसर्प दोष से पीड़ित हैं, उनके लिए यह अत्यंत लाभकारी है।
मनोकामना पूर्ति – संतान प्राप्ति, विवाह में अड़चन या करियर संबंधी बाधाओं में यह स्तोत्र सहायक होता है।