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जानिए शिव भगवान को कबूतरों पर क्यों क्रोध आया था, जिसे अमरत्व की कहानी कहते हैं

 

क्या आप जानते है कि महादेव अजर अमर हैं यही प्रश्न एक बार माता पार्वती ने भी भगवान शंकर से पूछा कि महादेव आप तो अजर अमर हैं। मगर ऐसा क्यों होता है कि मुझे आपको पाने के लिए हर बार नया रूप लेना पड़ता है। बड़ी कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना पड़ता है। जब मैं आपको हर बार प्राप्त करती हूं तो ये सब पुर्नजन्म और तपस्या क्यों। इस बात का जवाब दीजिए। तो महादेव ने पहले तो उन्हें कुछ नहीं बताया मगर माता के रूठे व्यवहार को देख कर उन्हें सब कुछ बता दिया।

तो आइए हम भी जानते हैं कि भगवान शंकर ने माता को क्या बताया। और कहां पर बताया। महादेव शंकर ने माता पार्वती को बहुत सी बातें अमरनाथ की गुफा में ही बताईं थीं। जिसके कुछ अंश हम अमरत्व की कथा में भी सुन सकते हैं। तो जानते हैं इसके बारे में।

बाबा भोलनाथ ने माता को कथा सुनने के लिए एक ऐसे स्थान के बारे में कहा जहां पर बिल्कुल एकांत हो वहां पर कोई पशु पक्षी नहीं होना चाहिए। ना ही कोई व्यक्ति होना चहिए। क्योंकि जो भी व्यक्ति इस कथा को सुन लेता तो वह अमर हो जाता है। इसके लिए भगवान शंकर ने अपने नंदी को पहलगांव में छोड़ दिया। जहां से बाबा अमरनाथ की यात्रा शुरू होती है।

शेषनाग पहाड़

जैसे-जैसे बाबा भोलेनाथ अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने लगे उन्होंने चन्द्रमा को चंदनवादी में गंगा जी को पंचतरणी में और गले में जो सांप थे उन्हें शेषनाग पर छोड़ दिया जिसके कारण इस पहाड़ का नाम शेष नाग पहाड़ पड़ गया। तभी से पहाड़ को शेष नाग पहाड़ के नाम से जाना जाता है।

कीड़े-पिस्सू घाटी

आगे चलकर भोलेनाथ ने गणेश जी महाराज को गणेशटाप पर छोड दिया। क्योंकि इस यात्रा का अगला पड़ाव गणेशटाप होता है गणेश जी टाप पर छोड़ने के कारण वहां का नाम गणेश टाप पड़ा। इसी स्थान को महागुणा पर्वत भी कहा जाता है। यात्रा के अगले पड़ाव में महादेव ने अपने कीडे पिस्सू को घाटी  में छोड़ दिया। जिससे इस घाटी का नाम पिस्सू घाटी पड़ा।

इस तरह महादेव ने गुफा में प्रवेश किया

तो इस तरह से महादेव जी ने अपने पांचों तत्वों को पीछे छोड़ दिया और माता के साथ वह एक गुफा में प्रवेश कर गए। इस कथा को कोई पशु पक्षी या कोई मानव नहीं सुन लें इसके लिए उन्होंने गुफा के चारों ओर आग जला दी। उसके बाद माता का कथा सुनाना शुरू किया महोदव जी को पता नहीं चला कि कथा सुनते सुनते माता को कब नींद आ गई और वह सो गई ।

जब कबूतरों ने शिव को गुस्सा दिलाया था

भगवान शिव अपनी लीन होकर माता पार्वती को कथा सुनाते रहें उन्हें पता ही नहीं चला कि माता कब सो गईं। जब महादेव माता को कथा सुना रहे हैं तब वहां पर दो कबूतर भी कथा सुन रहे थे। बीच-बीच में गुटर गूं-गुटर गूं की आवाज निकाल रहे थे। तो महादेव को लगा माता कथा सुन रही हैं। कथा के समाप्त होते ही महादेव ने माता की ओर देखा तो उन्होंने देखा की माता तो सो रही हैं तो कथा कौन सुन रहा था। तब महादेव की नजर उन कबूतरों पर पड़ी जिन्होंने कथा पूरी सुनी।

इस बात पर महादेव को बहुत क्रोध आया। तब उन कबूतरों ने कहा कि हे प्रभु हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है। और अगर आप हमें मार देंगे तो आपकी इस बात पर कौन विश्वास करेगा। यह बात सुन कर महादेव ने उन्हें जीवित छोड़ दिया और कहा कि आज के बाद तुम दोनों सदैव शिव और पार्वती के प्रतीक के रूप में यहां पर विराजमान रहोगे।

कहा जाता है कि आज भी भक्तों को इन कबूतरों के दर्शन होते हैं। इस गुफा में महादेव ने अमर कथा सुनाई जिसके कारण इस गुफा का नाम अमरनाथ गुफा हो गया। जिसके बाद महादेव बर्फ के शिवलिंग के रूप में यहां पर दर्शन देते हैं। इनके अलावा यहां पर माता पार्वती और गणेश जी की भी बर्फ के प्रतीक चिन्ह दिखाई देते हैं।

अमरनाथ की गुफा श्रीनगर से 145 किलोमीटर की दूरी पर है। तो भक्तों आज अापने जाना कि कैसे एक गुफा का नाम अमरनाथ की गुफा हो गया।