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योगिनी एकादशी व्रत को करने से दूर होता हैं अपयश

 

आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व और त्योहार होते हैं,मगर योगिनी एकादशी का विशेष महत्व होता हैं वही आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी के निमित्त योगिनी एकादशी करने का विधान होता हैं

वही इस साल यह पावन और पवित्र तिथि 29 जून को पड़ रही हैं परमेश्वर श्री विष्णु ने मानव कल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों को मिलाकर कुल छब्बीस एकादशियों को प्रकट किया हैं।

वही कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली इन एकादशियों के नाम और उनके गुणों के अनुसार ही उनका नामकरण भी किया गया। वही सभी एकादशियों में नारायण समतुल्य फल देने का सामथ्र्य है। ये सभी अपने भक्तों की कामनाओं की पूर्ति कराकर उन्हें विष्णु लोक पहुंचाती हैं इनमें योगिनी एकादशी तो प्राणियों को उनके सभी प्रकार के अपयश और चर्म रोगों से भी मुक्ति दिलाकर जीवन सफल बनाने में सहायक होती हैं।

वही इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ साथ पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान होता हैं वही साधक को इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ वही मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान कराना चाहिए। वही इसके पश्चात भगवान श्री हरि विष्णु को वस्त्र, चन्दन, जनेउ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, ताम्बूल आदिन समर्पित करते आरती उतारनी चाहिए।

वही पद्म पुराण के मुताबिक योगिनी एकादशी समस्त पातकों अर्थात् पापों का नाश करने वाली हैं वही यह संसार सागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए सनातन नौका के सामान हैं यह देह की समस्त आधिव्याधियों को नष्ट कर सुंदर रूप, गुण और यश देने वाली हैं।

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी के निमित्त योगिनी एकादशी करने का विधान होता हैं वही इस साल यह पावन और पवित्र तिथि 29 जून को पड़ रही हैं परमेश्वर श्री विष्णु ने मानव कल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों को मिलाकर कुल छब्बीस एकादशियों को प्रकट किया हैं। कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली इन एकादशियों के नाम और उनके गुणों के अनुसार ही उनका नामकरण भी किया गया। योगिनी एकादशी व्रत को करने से दूर होता हैं अपयश