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Shardiya Navratri 2024: अगर आप भी घर करने जा रहे है घटस्थापना तो भूलकर भी ना ये गलतियां, वरना पड़ जाएंगे लेने के देने, वीडियों में जानें सबकुछ

 

राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! शारदीय नवरात्र को महानवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। ये सनातन धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में शामिल है। इस पर्व की शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है और समाप्ति नवमी के दिन। नवरात्रि का पहला दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों में घटस्थापना करते हैं। जिसे कलश स्थापना के नाम से भी जाना जाता है। इसके बिना नवरात्रि पूजा अधूरी मानी जाती है। चलिए आपको बताते हैं कि नवरात्रि कलश स्थापना का मुहूर्त, विधि, सामग्री, मंत्र सबकुछ।

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नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2024 

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है। मान्यताओं अनुसार अगर घटस्थापना शुभ मुहूर्त में और विधि विधान तरीके से न की जाए तो माता रानी नाराज हो जाती हैं। इसलिए कलश स्थापना का सही मुहूर्त और विधि जान लेना बहुत जरूरी है। चलिए आपको बताते हैं कि इस साल नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

घटस्थापना पूजन सामग्री 

चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन
पवित्र जगह की मिट्टी
कलावा/मौली
सुपारी
कलश
सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
जटाओं वाला नारियल
लाल रंग का कपड़ा
फूल
माला
मिठाई
दूर्वा (दूब घास)
गंगाजल
अक्षत
आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)
सिंदूर

घटस्थापना की विधि 

घटस्थापना या कलश स्थापना के लिए एक चौड़े मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में पवित्र स्थान से मिट्टी लाकर भर लें और फिर उसमें सप्तधान्य बो दें।
फिर इस बर्तन के ऊपर कलश रखकर उसमें जल भर दें।
फिर कलश पर कलावा बांध दें। साथ में टीका लगा दें।
अब कलश के ऊपर आम या अशोक के पल्लव रखें।
इसके बाद कलश के मुख पर जटाओं वाला नारियल लाल कपड़े में कलावे से लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
इस बाद माता रानी के आह्वान करें।
नवरात्रि के हर दिन माता रानी के साथ-साथ कलश की भी पूजा करें।

घटस्थापना के नियम 

कलश स्थापना के लिए दिन के पहले एक तिहाई समय को सबसे उत्तम माना जाता है। कई लोग घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उत्तम मानते हैं।कलश स्थापना किचित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दौरान करने से बचना चाहिए।

कलश स्थापना मंत्र 

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।। ये मंत्र कलश स्थापना करते समय बोलना चाहिए।