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Sawan Shivratri : इस साल कब है सावन की शिवरात्रि? ३ 3 मिनट के इस दुर्लभ वीडियो में जानें पूजा विधि, तिथि और शुभ मुहूर्त का संपूर्ण विवरण

 

हिंदू धर्म में सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस दिन को मासिक शिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है। सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि त्रियोदशी तिथि के दिन आती है। श्रावण का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। लेकिन सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का एक अलग और विशेष महत्व होता है। इस दिन हजारों भक्त शिव मंदिरों में भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का दिन कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन होता है। इस दिन को बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। श्रावण माह में पड़ने वाली शिवरात्रि के दिन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और भक्त शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं। जानिए वर्ष 2025 में सावन माह में शिवरात्रि का पर्व किस दिन पड़ेगा। 

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/LGzqgQk5ie0?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/LGzqgQk5ie0/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="पवित्र शिवरात्रि व्रत कथा | सुपरफास्ट शिवरात्रि व्रत कथा | Shivratri Vrat Katha" width="1250">
सावन शिवरात्रि 2025 तिथि-
वर्ष 2025 में सावन शिवरात्रि बुधवार, 23 जुलाई 2025 को पड़ेगी और इसी दिन शिवरात्रि का व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन निशिता काल में पूजा करने का विशेष महत्व है। गुरुवार, 24 जुलाई 2025 को निशिता काल में पूजा का समय दोपहर 12.07 से 12.48 बजे तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 41 मिनट होगी। वहीं, शिवरात्रि का व्रत अगले दिन यानी 24 जुलाई को सुबह 05.38 बजे तोड़ा जा सकता है।

सावन शिवरात्रि 2025 व्रत विधि-
इस दिन सुबह नित्यकर्म करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
सुबह मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ और 'ॐ नमः शिवाय:' मंत्र का जाप करें।
सावन माह की शिवरात्रि के दिन भक्तों को केवल एक बार भोजन करना चाहिए।
सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की चार बार पूजा की जाती है।
शिवरात्रि के दिन शाम के समय पूजा का विशेष महत्व है।
साथ ही, व्रत का पारण अगले दिन करना चाहिए।
भक्तों को चतुर्दशी तिथि के सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच व्रत का समापन करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि शिव पूजा और पारण दोनों ही चतुर्दशी तिथि के सूर्यास्त से पहले कर लेने चाहिए।