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Sawan Shivratri 2025 : जानें कब है शिव पूजन और लिंगाभिशेक का श्रेष्ठ समय, 3 मिनट के इस शानदार वीडियो में जाने विधि, मंत्र और महत्व

 

इस समय भगवान शिव का पवित्र महीना सावन चल रहा है। यह महीना भोलेनाथ को समर्पित है। सावन में भक्त भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करते हैं। इस दौरान शिव भक्त कांवड़ लाते हैं और शिवरात्रि पर शिव का जलाभिषेक करते हैं। ज्योतिष आचार्यों के अनुसार शिवरात्रि हर महीने में आती है। लेकिन, सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस बार सावन शिवरात्रि 23 जुलाई, बुधवार को पड़ रही है। भोले भंडारी की विशेष पूजा के लिए शिव मंदिर सज-धज कर तैयार हैं। अब सवाल यह है कि सावन शिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त क्या है? भक्तों को जलाभिषेक के लिए कितना समय मिलेगा? शिव की पूजा की विधि क्या है? किन मंत्रों के जाप से मनोकामनाएं पूरी होंगी? इस बारे में न्यूज18 को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/LGzqgQk5ie0?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/LGzqgQk5ie0/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="पवित्र शिवरात्रि व्रत कथा | सुपरफास्ट शिवरात्रि व्रत कथा | Shivratri Vrat Katha" width="1250">
सावन शिवरात्रि का शुभ समय
श्रावण, कृष्ण चतुर्दशी प्रारंभ - 04:39 AM, 23 जुलाई
श्रावण, कृष्ण चतुर्दशी समाप्त - 02:28 AM, 24 जुलाई
निशिता काल पूजा समय - 12:07 पूर्वाह्न से 12:48 पूर्वाह्न, 24 जुलाई

सावन शिवरात्रि का शुभ समय
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय - शाम 07:17 बजे से रात 09:53 बजे तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात्रि 09:53 बजे से रात्रि 12:28 बजे तक, 24 जुलाई
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:28 AM से 03:03 AM तक, 24 जुलाई
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय - प्रातः 03:03 बजे से प्रातः 05:38 बजे तक, 24 जुलाई
शिवरात्रि पारणा समय - 24 जुलाई प्रातः 05:38 बजे

सावन शिवरात्रि पूजा विधि

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजन सामग्री लेकर पूजा कक्ष या शिव मंदिर जाएँ। फिर सबसे पहले भगवान शिव का जल से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें चंदन, अक्षत, बेलपत्र सहित सभी पूजन सामग्री एक-एक करके अर्पित करें। इस दौरान शिव मंत्र का जाप करते रहें। सभी सामग्री अर्पित करने के बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें। फिर भगवान शिव को प्रणाम करके एक स्थान पर बैठ जाएँ। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। फिर सोमवार की व्रत कथा पढ़ें। इसके अंत में घी का दीपक जलाएँ या कपूर जलाकर भगवान शिव की आरती करें। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें। इसके बाद अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। ध्यान रहे, मंत्रों का जाप करना न भूलें।

शिव पूजन के मंत्र
1. ॐ नमः शिवाय

2. नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मानगरगाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय।

सावन शिवरात्रि पर पूजन का महत्व
सावन सोमवार का व्रत सभी प्रकार के सुख प्रदान करता है। भगवान शिव की कृपा से जातक की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। जिन लोगों के विवाह में कोई बाधा आ रही हो या देरी हो रही हो, उन्हें सावन सोमवार का व्रत अवश्य करना चाहिए। 16 सोमवार के व्रत करने से शीघ्र विवाह की संभावना बनती है।

शिवरात्रि की पूजा सामग्री की सूची
फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम की मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार फूल, कच्चा गाय का दूध, गन्ने का रस, कपूर, धूप, दीप, कपास, मलयागिरी, चंदन, शिव और माता पार्वती की श्रृंगार सामग्री आदि।