शनि प्रदोष पर विशेष संयोग, आज इन उपायों से मिलेंगी साढ़े साती और ढैय्या से राहत
श्रावण मास के अधिष्ठाता भगवान शिव है जो कि शनिदेव के गुरु माने जाते हैं सभी नौ ग्रहों और समय को नियंत्रित करने के कारण उनको महाकाल कहा जाता हैं शनि की कुदृष्टि और पीड़ा से केवल शिव या उनके अंशावतार हनुमान जी ही बचा सकते हैं इसलिए सावन में शनिदेव की पूजा करने से न केवल शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती हैं बल्कि सालभर शनिदेव की पूजा की विशेष आवश्यकता नहीं होती हैं
अगर जातक की कुंडली में शनि के कारण संतान बाधा आ रही हैं तो शनि प्रदोष को पूजा करना विशेष माना जाता हैं संतान पक्ष से सुख नहीं मिल रहा हैं तो भी शनि पूजा से लाभ प्राप्त होता हैं वही अगर कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो शनि से संबंधित सभी दोष सावन के इस शनिवार को समाप्त हो सकते हैं।