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हर युग में पूजनीय लेकिन क्यों कहते हैं हनुमान जी को आज के युग का सबसे प्रभावशाली रक्षक? जानें पूरी कथा

 

भारतीय आस्था और संस्कृति में ऐसे कई देवी-देवता हैं जिनकी कथाएँ आज भी लोगों के जीवन में मार्गदर्शक का काम करती हैं। इन्हीं में से एक हैं हनुमान जी, जिन्हें न केवल भगवान राम का प्रिय सेवक माना जाता है, बल्कि वे शक्ति, भक्ति और आस्था की जीवंत मिसाल भी हैं। खास बात यह है कि हनुमान जी की पूजा तो सभी युगों में होती रही है, लेकिन कलयुग में उनकी भूमिका और भी खास मानी जाती है। भोपाल निवासी ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा इस विषय पर और जानकारी दे रहे हैं।

हनुमान जी कलयुग के देवता क्यों हैं?
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने हनुमान जी को एक विशेष वरदान दिया था। उन्होंने कहा था कि जब तक यह ब्रह्मांड रहेगा, हनुमान जी पृथ्वी पर विराजमान रहेंगे और धर्म की रक्षा करते रहेंगे। यही कारण है कि हनुमान जी को चिरंजीवी कहा जाता है, यानी उनका कभी नाश नहीं होता। वे आज भी जीवित हैं और भक्तों की सहायता करते रहते हैं।

संकटों से मुक्ति दिलाने वाले
जब व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों से घिरा होता है, तो वह अक्सर हनुमान जी की शरण में आता है। मान्यता है कि सच्चे मन से की गई पुकार हनुमान जी तुरंत सुनते हैं और भक्त की रक्षा करते हैं। मानसिक तनाव हो या जीवन का कोई बड़ा संकट, हनुमान जी की कृपा से रास्ता निकल ही आता है।

आसान पूजा, गहरा प्रभाव
हनुमान जी की पूजा करना बहुत ही आसान माना जाता है। इसके लिए किसी विशेष विधि या नियम की आवश्यकता नहीं होती। सच्चे मन से 'हनुमान चालीसा' का पाठ करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यही कारण है कि हर उम्र के लोग हनुमान जी की ओर आकर्षित होते हैं।

भक्ति और शक्ति का मेल
हनुमान जी के चरित्र में दो बड़ी बातें दिखाई देती हैं - अटूट भक्ति और असीम शक्ति। उन्होंने अपनी सारी शक्ति भगवान राम की सेवा में लगा दी और कभी अपनी इच्छा को आगे नहीं रखा। यही गुण उन्हें अन्य देवताओं से अलग बनाते हैं। उनकी भक्ति ने उन्हें वह शक्ति प्रदान की जिससे उन्होंने असंभव को भी संभव कर दिखाया।

जीवन में प्रेरणा
हनुमान जी का जीवन न केवल पूजनीय है, बल्कि प्रेरणादायी भी है। आज के समय में जब लोग आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे हैं, तब हनुमान जी का चरित्र उन्हें यह सीख देता है कि सच्ची श्रद्धा और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती। उनकी कहानियाँ बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को यह सिखाती हैं कि सच्ची श्रद्धा से किया गया कर्म अवश्य फल देता है।

हर युग में पूजे जाते हैं
यह भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि हनुमान जी की पूजा केवल कलियुग तक ही सीमित नहीं है। सत्ययुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में भी उनकी महिमा थी और लोग उनकी पूजा करते थे। लेकिन कलियुग में उनकी सजग उपस्थिति उन्हें और भी विशिष्ट बनाती है। यही कारण है कि आज भी बड़ी संख्या में लोग हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने मंदिरों में आते हैं।