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श्री गणेशाष्टकम् के नियमित पाठ से दूर होती है गृहक्लेश की समस्या, वीडियो में जाने कैसे यह दिव्य स्तोत्र आपके रिश्तों में घोलता है मिठास ?

 

भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूज्य माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके नाम के उच्चारण के साथ की जाती है। वे विघ्नहर्ता भी हैं और ऋद्धि-सिद्धि के दाता भी। ऐसे में जब परिवार में अशांति, तकरार, कलह या गृहक्लेश जैसे नकारात्मक हालात बनते हैं, तो श्री गणेश की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। खासतौर पर 'श्री गणेशाष्टकम्' का पाठ एक ऐसा चमत्कारी उपाय है जो न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि घर-परिवार में फैली नकारात्मकता को भी दूर करता है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/AQHjMP0_Q70?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/AQHjMP0_Q70/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="श्री गणेशाष्टकम् | Shri Ganesh Ashtakam | पंडित श्रवण कुमार शर्मा द्वारा | Ganeshashtak Hindi Lyrics" width="695">
क्या है श्री गणेशाष्टकम्?

'श्री गणेशाष्टकम्' संस्कृत में रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के आठ दिव्य रूपों की स्तुति की गई है। इसमें उनके स्वरूप, गुण, शक्ति और कृपा का सुंदर वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र इतना प्रभावशाली है कि इसे नियमित रूप से श्रद्धा से पढ़ने मात्र से ही जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस होने लगते हैं।

गृहक्लेश और गणेश जी की कृपा का संबंध
गृहक्लेश यानी घर में निरंतर विवाद, मनमुटाव, तकरार और तनाव की स्थिति होना – यह आज के समय की एक आम लेकिन गंभीर समस्या बन चुकी है। ज्योतिष और धर्मग्रंथों में ऐसे क्लेशों का मुख्य कारण नकारात्मक ऊर्जा, वास्तु दोष, ग्रह दोष या आपसी समझ की कमी को बताया गया है। भगवान गणेश बुद्धि, विवेक और सौहार्द के प्रतीक हैं। उनकी उपासना से घर में शांति, समृद्धि और प्रेम का वास होता है।श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करने से मन शांत होता है, वाणी में मधुरता आती है और विचारों में संयम उत्पन्न होता है। जब घर के प्रत्येक सदस्य के विचारों में मिठास आती है, तो अपने आप ही गृहक्लेश की स्थिति खत्म होने लगती है।

श्री गणेशाष्टकम् के पाठ का विधि-विधान
प्रतिदिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के मंदिर में बैठें।
भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं।
उन्हें दूर्वा, मोदक, लाल फूल चढ़ाएं।
फिर शुद्ध उच्चारण के साथ श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करें।
पाठ के बाद "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
अगर कोई व्यक्ति स्वयं पाठ नहीं कर सकता, तो रिकॉर्डेड स्वर में भी इसे सुन सकता है, लेकिन भावनाएं और श्रद्धा पूर्ण होनी चाहिए।

पाठ के चमत्कारी लाभ
गृहकलह का समाधान: पति-पत्नी के बीच मनमुटाव, परिवार में वाद-विवाद जैसी स्थितियों में यह स्तोत्र मन और वातावरण दोनों को शांत करता है।
धन-समृद्धि की प्राप्ति: गणेश जी को संपन्नता का देवता माना गया है, उनके स्तोत्र से आर्थिक समस्याओं का समाधान भी होता है।
बुद्धि और निर्णय शक्ति में वृद्धि: विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह स्तोत्र विशेष रूप से लाभकारी होता है।
नेगेटिव एनर्जी से बचाव: घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और वास्तु दोषों का प्रभाव भी कम होता है।
आपसी रिश्तों में मिठास: वाणी और व्यवहार में मधुरता आने से पारिवारिक रिश्तों में अपनापन और प्रेम बढ़ता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
श्री गणेशाष्टकम् जैसे स्तोत्रों का पाठ एक तरह की ध्वनि चिकित्सा के समान होता है। इनके उच्चारण से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगें हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती हैं। यह मन को शांत करती हैं और अवचेतन मन से भय, चिंता, गुस्सा जैसी भावनाओं को धीरे-धीरे खत्म करती हैं। साथ ही, यह सकारात्मक सोच और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती हैं।

कब करें श्री गणेशाष्टकम् का पाठ?
हालाँकि यह स्तोत्र रोज पढ़ा जा सकता है, लेकिन बुधवार, चतुर्थी तिथि, गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी और विशेष अवसरों पर इसका पाठ अत्यधिक शुभ और फलदायक माना गया है। संकट के समय या जब घर में लगातार क्लेश हो रहा हो, तब इसे रोजाना कम से कम 21 दिनों तक किया जाना चाहिए।