ऐसे माता पिता व संतान होते हैं शत्रु के समान, पढ़ें आज की चाणक्य नीति
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: चाणक्य की नीतियां मनुष्य के जीवन में बहुमूल्य मानी जाती हैं चाणक्य ने मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए हैं उस समय की लिखी गई चाणक्यनीति आज भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं चाणक्य के विचार लोगां को कठोर भी लगते हैं
मगर सही तरह से अगर इन विचारों को समझा जाए और अपने जीवन में अपनाया जाए तो जातक एक सुखी, सफल और संतुष्ट जीवन व्यतीत कर सकता हैं नीतिशास्त्र में जातक के पारिवारिक जीवन से लेकर मित्रता, शत्रु, धन, व्यवसाय आदि सभी विषयों के बारे में महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं चाणक्य ने रिश्तों को लेकर भी अपने विचार शेयर किए हैं जिसके अनुसार कुछ ऐसी परिस्थितियों के बारे में बताया गया हैं जब माता पिता संतान के लिए और संतान माता पिता के लिए शत्रु के समान हो जाते हैं।
चाणक्य एक योग्य शिक्षक थे इसलिए वे जीवन में शिक्षा के महत्व को भलिभांति समझते थे। एक अशिक्षित व्यक्ति को अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं और कई बार उसे अपमानित तक होना पड़ता हैं चाणक्य नीति अनुसार जो माता पिता अपनी संतान को अशिक्षित रखते हैं वे अपनी संतान के लिए शत्रु के समान होते हैं क्योंकि विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किये जाते हैं जैसे हंसों की सभा में बगुले। मूर्ख संतान माता पिता के लिए शुत्र के समान होती हैं ऐसी संतान माता पिता के कष्टों का कारण बनती हैं इसी तरह से जो संतान माता पिता की आज्ञा की अवहेलना करती है वह शत्रु के समान होती हैं।