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गीता की ये बातें देती है सफलता का संदेश

 

ऐसा कहा जाता हैं कि भावनाएं व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होती हैं और सबसे बड़ी कमजोरी भी यही मानी जाती हैं अगर व्यक्ति इसे काबू में नहीं कर पाता हैं तो जीवन में सफलता में इससे बड़ी कोई और रुकावट नहीं होती हैं वही अगर व्यक्ति भावनाओं को नियंत्रित करके अपने कार्य पर ध्यान देता हैं तो यह उसे शक्ति प्रदान करने का काम करती हैं श्रीमद्भगवत ​गीता में जीवन के कुछ ऐसे पहलुओं का उल्लेख किया गया हैं जिनपर ध्यान देकर आप जीवन की कई चुनौतियों का सामना कर सकते हैं तो आज हम आपको श्रीमद्भ्गवत गीता के इन वचनों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आपको जीवन में एक सफल व्यक्ति बना सकते हैं तो आइए जानते हैं।

क्रोध पर नियंत्रण— क्रोध में भ्रम पैदा होता हैं भ्रम से बुद्धि व्यग्र हो जाती हैं जब बुद्धि व्यग्र होती हैं तक तर्क नष्ट हो जाता हैं, जब तर्क नष्ट हो जाता हैं तब मनुष्य का पलन हो जाता हैं।

देखने का तरीका— जो ज्ञानी मनुष्य ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता हैं उसी का नजरिया उचित माना जाता हैं।

भावनाओं का नियंत्रण— जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करती हैं।

खुद का आकलन— आत्म ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशासित रहो, उठो।

स्वयं का निर्माण— मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता हैं।

कार्य का फल— इस जीवन में ना कुछ खाता है ना व्यर्थ होता है, हर कार्य का फल प्राप्त होता हैं।

अभ्यास जरूरी— मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, मगर अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं।

भावनाएं व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होती हैं और सबसे बड़ी कमजोरी भी यही मानी जाती हैं अगर व्यक्ति इसे काबू में नहीं कर पाता हैं तो जीवन में सफलता में इससे बड़ी कोई और रुकावट नहीं होती हैं व्यक्ति भावनाओं को नियंत्रित करके अपने कार्य पर ध्यान देता हैं तो यह उसे शक्ति प्रदान करने का काम करती हैं श्रीमद्भगवत ​गीता में ऐसे पहलुओं का उल्लेख किया गया हैं। गीता की ये बातें देती है सफलता का संदेश