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असफलता का कारण बन सकता है आपका अहंकार

 

व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन में कई बार ऐसा होता है कि कुछ ऐसे लोगों की बात पर क्रोध करने लगते हैं जो ना ज्ञान में हमसे आगे होते हैं ना अनुभव में, कई लोग अपनी थोड़ी सी योग्यता के अहंकार में आपका अपमान करते हैं अधिकतर लोग ऐसे मौकों पर अपना धैर्य खो देते हैं और मामला वाद विवाद तक पहुंच जाता हैं, धर्म ग्रंथों में कहा गया हैं क्रोध और विवाद उन पर करें जो आपकी योग्यता के समान हो। जो आपकी तरह योग्य नहीं हो, आपसे काफी कमतर हो, उसके साथ वाद विवाद और क्रोध करने में आपकी ही हानि होगी। ऐसे लोगों को सामान्य रूप से समझाना चाहिए। भगवान शिव और दशानंन रावण का एक प्रसंग हैं जब रावण के मूर्खतापूर्ण कार्य पर शिव ने क्रोध नहीं किया, बल्कि खेल खेल की तरह ही उसे सबक सिखा दिया। रावण और महादेव की एक प्रसि​द्ध कथा हैं, कई पौराणिक मान्यताओं में रावण को शिव का श्रेष्ठ भक्त बताया गया हैं रावण ने शिव को अपना ईष्ट और गुरु दोनों माना था। एक दिन रावण के मन में आया कि मैं सोने की लंका में रहता हूं और मेरे आराध्य शिव कैलाश पर्वत पर। क्यों ना शिव को भी लंका में लाया जाए। ये सोचकर रावण कैलाश की ओर चल पड़ां वो कई तरह के विचारों में डूबा हुआ कैलाश पर्वत की तलहटी में पहुंचा। सामने से शिव के वाहन नंदी आ रहे थे। नंदी ने शिव भक्त रावण को प्रणाम किया। रावण ने अहंकार में कोई जवाब नहीं दिया। नंदी ने फिर उससे बात की तो रावण ने उसका अपमान कर दिया। उसने नंदी को बताया कि वो भगवान शिव को लंका लेकर जाने के लिए आया हैं, नंदी ने कहा, भगवान को कोई उनकी इच्छा के विरुद्ध कहीं नहीं ले जा सकता हैं रावण को अपने बल पर घमंड था। उसने कहा अगर शिव नहीं मानें, तो वो पूरा कैलाश पर्वत ही उठकर ले जाएगा। यह कह कर रावण ने कैलाश को उठाने के लिए अपना हाथ एक चट्टान के नीचे रखा। शिव कैलाश पर्वत पर बैठे सब देख रहे थे। कैलाश हिलने लगा। सभी गण डर गए। शिव अविचलित बैठे रहे। जब रावण ने अपरा पूरा हाथ कैलाश पर्वत की चट्टान के नीचे फंसा दिया तो शिव ने मात्र अपने पैर के अंगूठे से कैलाश को दबा दिया। रावण का हाथ कैलाश पर्वत के नीचे फंस गया और निकल नहीं रहा था। शिव अपने आसन पर निर्विकार बैठे मुस्कुरा रहे थे। तब रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत्र की रचना की। जिसे सुनकर शिव ने उसे मुक्त कर दिया।

व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन में कई बार ऐसा होता है कि कुछ ऐसे लोगों की बात पर क्रोध करने लगते हैं जो ना ज्ञान में आगे होते हैं ना अनुभव में, कई लोग अपनी थोड़ी सी योग्यता के अहंकार में आपका अपमान करते हैं अधिकतर लोग ऐसे मौकों पर अपना धैर्य खो देते हैं और मामला विवाद तक पहुंच जाता हैं, धर्म ग्रंथों में कहा गया हैं क्रोध और विवाद उन पर करें जो आपके योग हो। असफलता का कारण बन सकता है आपका अहंकार