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Guru tegh bahadur shaheedi divas 2020: धर्म रक्षा के लिए शहीद हुए थे गुरु तेग बहादुर, जानिए इनके जीवन के बारे में

 

आपको बता दें कि आज यानी 24 नवंबर दिन मंगलवार को गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस मनाया जा रहा हैं नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस के रूप में याद किया जाता हैं गुरु तेग बहादुर सिख धर्म के नौवें गुरु थे। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। वे प्रेम, त्याग और बलिदान के सर्वोच्च प्रतीक हैं। तो आज हम आपको गुरु तेग बहादुर के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

वही विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिंद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय माना जाता हैं गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर में गुरु हरगाबिन्द साहित के घर में हुआ था। बचपन में उनका नाम त्यागमल था। वे बाल्यकाल से ही धार्मिक निर्भीक, विचारवान और दयालु स्वभाव के थे। वही 1675 में धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दिया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को मौत की सजा सुनाई गई थी। क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म को अपनाने से मना कर दिया था। इसके बाद मुगल बादशाह के आदेश पर सबके सामने गुरु तेग बहादुर जी का सिर कलम कर दिया गया था। यह गुरु तेग बहादुर जी के निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदारण था। गुरु जी मानवीय धर्म और वैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे।