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शिवजी ने यहां सुनाई थी मां पार्वती को अमर कथा, घर बैठे कीजिए दर्शन

 

कहा जाता है कि भारत भूमि के कण—कण में भगवान शंकर का वास है। जो भक्त उन्हें सच्चे मन से जहां पूजता है, उसके लिए वही शिव का धाम है। शिव और शक्ति को समर्पित कई प्राचीन तीर्थों के दर्शन एवं उनकी कथाएं पढ़कर हमारी आस्था अटूट व अटल हो जाती है। बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा भी ऐसा ही एक प्राचीन तीर्थस्थल है। हर साल अमरनाथ के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु जाते हैं। जम्मू—कश्मीर में स्थित इस गुफा की कथा अत्यंत रोचक है। जानिए, यहां भोलेनाथ ने क्यों सुनाई थी मां पार्वती को अमरकथा।

प्राचीन काल की बात है। एक बार मां पार्वती ने भगवान शिव से अमरता एवं सृष्टि के सृजन का रहस्य जानना चाहा। अमरत्व के इस रहस्य को किसी भी साधारण स्थान पर नहीं बताया जा सकता था, क्योंकि यदि इसे कोई जीव सुन लेता तो वह अमर हो जाता और सृष्टि के नियम भंग हो जाते। अत: भोलेनाथ ने ऐसे स्थान का चयन किया जहां कोई जीव न हो। वे जम्मू—कश्मीर स्थित इस गुफा में आ गए। यहां आने से पूर्व उन्होंने सर्प आदि भी पीछे छोड़ दिए।

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फिर वे माता पार्वती को सृष्टि का रहस्य समझाने के लिए अमर कथा सुनाने लगे। देवी पार्वती कथा सुनती जा रही थीं। इस दौरान वे सुनते हुए प्रतिक्रिया (हुंकारा) देती जा रही थीं। सहसा उन्हें निद्रा का अहसास हुआ और वे सो गईं। संयोगवश उस गुफा में कबूतर के दो बच्चे भी मौजूद थे। जब देवी पार्वती सो गईं तो वे कथा के बदले प्रतिक्रिया देने लगे। शिव को यह प्रतीत हुआ कि पार्वती ही कथा सुन रही हैं। कथा संपूर्ण होने के बाद शिव को ज्ञात हुआ कि देवी पार्वती तो सो रही हैं। फिर यहां कथा कौन सुन रहा था?

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सहसा शिव को कबूतरों के दोनों बच्चे दिखाए दिए। शिव ने उनका संहार करने के लिए त्रिशूल उठाया। तब मां पार्वती ने उन्हें रोक लिया। कुछ कथाओं के अनुसार कबूतर के उन बच्चों ने शिवजी से प्रार्थना की थी कि वे उन्हें जीवनदान दें। चूंकि अमरकथा सुनने के बाद वे अमर हो चुके थे। अब अगर शिव का त्रिशूल उन्हें भस्म कर देता तो अमर कथा का महत्व ही समाप्त हो जाता। शिव उन कबूतरों पर बहुत प्रसन्न हुए और उनकी जान बख्श दी। आज हर साल अनेक श्रद्धालु देश के कोने—कोने से यहां दर्शन् करने आते हैं। उनमें से कई लोगों ने कबूतर के उन बच्चों को भी देखने का दावा किया है। इन्हें सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ये अमर पक्षी के रूप में विख्यात हो गए।

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बाबा अमरनाथ की गुफा में बर्फ से एक दिव्य शिवलिंग बनता है। गुफा करीब डेढ़ सौ फीट परिधि से युक्त है। इसमें पानी की बूंदों से विशाल शिवलिंग का निर्माण होता है। चूंकि शिवजी चंद्रमा के स्वामी हैं। अत: चंद्रमा से इसका गहरा संबंध है। चंद्र के घटते—बढ़ते आकार के साथ शिवलिंग के आकार में भी परिवर्तन आता रहता है। शिवलिंग के पास बर्फ की अन्य आकृतियां बनती हैं जिन्हें शिव परिवार कहा जाता है। इनमें मां पार्वती, गणपति, कार्तिकेय और नंदी आदि हैं। शिव अपनी शक्ति से असंभव को भी संभव बना देते हैं। इसी शक्ति का एक नाम है बाबा अमरनाथ की गुफा।

 

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