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दशहरा पर यहां नहीं फूंकते रावण घूंघट में महिलाएं करती हैं पूजा, मरते समय रावण ने बताई थी कलियुग की 3 भयानक बातें, वीडियो में देखें और जानें 

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन दशहरा बेहद ही खास माना जाता है जो कि शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन के अगले दिन मनाया जाता है दशहरे को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।

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पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देवी का विजर्सन कर विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था इसके अलावा भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का भी इस दिन अंत किया था इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के अवसर पर मनाया जाता है इस साल दशहरा पर्व 12 अक्टूबर दिन शनिवार यानी आज देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भारत का एक ऐसा मंदिर बता रहे हैं जहां दशहरा पर रावण दहन नहीं किया जाता है बल्कि महिलाएं पूजा करती है और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद पाती हैं तो आइए जानते हैं। 

यहां होती है रावण की विशेष पूजा—
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के मंदसौर नामक एक गांव में रावण का दहन नहीं बल्कि पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदसौर को दशपुर के नाम से जाना जाता था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका भी था। इस लिहाज से मंदसौर रावण ससुराल हुआ और वहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं इस कारण दशहरे के दिन पूरे देश में जहां रावण का दहन किया जाता है वही मंदसौर में रावण की पूजा होती है।

मंदोदरी को अपने वंश की बेटी मानने वाले एक समाज के लोग आज भी रावण को अपना दामाद मानते हैं और उसे सम्मान भी देते हैं। मंदसौर में नामदेव समाज की महिलाएं आज भी घूंघट में रावण की पूजा करती है और रावण के पैरों में धागा भी बांधती हैं इसके अलावा यह मान्यता है कि यहां रावण की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी हो जाती है और कई तरह की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है।