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पितृपक्ष में इन जगहों पर करें श्राद्ध कर्म

 

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता हैं वही श्राद्ध का मतलब होता हैं अपने देवताओं, पितरों और वंश के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट करना, हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग होता हैं वही यू तो देश के कई जगहों में पिंडदान किया जाता हैं पर कुछ विशेष जगहों पर श्राद्ध करने से बहुत पुण्य ​प्राप्त होता हैं और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती हैं वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं, इन ​जगहों के बारे में, तो आइए जानते हैं।

बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व होता हैं हिंदू धर्म की मान्यता के के अनुसार भगवान श्री राम और देवी मां सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया जी में ही पिंडदान किया था। वही गया को विष्णु का नगर भी कहा जाता हैं यह मोक्ष की भूमि कहलाती हैं।

वही ऐसा माना जाता हैं कि हरिद्वार के नारायणी शिला पर तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं वही हिंदू धर्म पुराणों में भी इसका उल्लेख प्राप्त होता हैं वही पितृ पक्ष के दौरान देशभर से श्रद्धालु यहां पर आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना करते हैं। वही वाराणसी भगवान भोलेनाथ की बहुत ही पवित्र नगरी मानी जाती हैं यहां पर दूर दूर से लोग आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं वही बनारस के कई घाटों पर अस्थि विसज्रन और श्राद्ध के कर्म कांड किए जाते हैं।

वही चारों धामों में से एक धाम बद्रीनाथ को भी माना जाता हैं श्राद्ध कर्म के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान माना जाता हैं बद्रीनाथ के ब्रह्मकपाल घाट पर श्रद्धालु सबसे अधिक संख्या में पिंडदान करते हैं यहां से निकलने वाली अलकनंदा नहीं पर पिंडदान किया जाता हैं।

श्राद्ध का मतलब होता हैं अपने देवताओं, पितरों और वंश के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट करना, हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग होता हैं वही यू तो देश के कई जगहों में पिंडदान किया जाता हैं पर कुछ विशेष जगहों पर श्राद्ध करने से बहुत पुण्य ​प्राप्त होता हैं और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती हैं पितृपक्ष में इन जगहों पर करें श्राद्ध कर्म