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महानवमी पर वीडियो में करें माता के प्रसिद्ध शक्तिपीठों के दर्शन, कमेंट में जय मां भवानी लिख पाएं उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन नवरात्रि को विशेष बताया गया है जो कि नौ दुर्गा की साधना आराधना को समर्पित होता है यही कारण है कि नवरात्रि को देवी साधना का महापर्व भी कहा जाता है अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि पूरे नौ दिनों तक चलता है इसमें माता के नौ अलग अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास आदि भी रखा जाता है माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में भक्ति भाव से देवी आराधना करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है आज यानी 17 अप्रैल का चैत्र नवरात्रि की नवमी है जिसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है इस पावन दिन पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने का विधान है माना जाता है कि आज के दिन सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और कष्टों का समाधान हो जाता है। नवरात्रि के पावन ​दिन पर आज हम माता के नौ शक्तिपीठों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

यहां देखे मां दुर्गा के नौ ​प्रसिद्ध शक्तिपीठ

<a href=https://youtube.com/embed/vbq-YJwS2cE?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/vbq-YJwS2cE/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

माता के नौ प्रसिद्ध शक्तिपीठ—
1. कालीघाट मंदिर कोलकाता, यहां माता के पांव की चार अंगुलियां गिरी थी। 
2. कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर, यहां पर माता सती के त्रिनेत्र गिरे थे। 


3. अम्बाजी मंदिर गुजरात, यहां पर माता सती का ह्रदय गिरा था। 
4. नैना देवी मंदिर, इस पावन स्थल पर माता की आंखे गिरी थी। 


5. कामाख्या देवी मंदिर, यहां पर देवी सती के गुप्तांग गिरे थे। 
6. हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन, माता सती का बायां हाथ और होंठ यहां पर ही गिरा था। 
7. ज्वाला देवी मंदिर में सती की जीभ गिरी थी। 
8 काली घाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। 
9. वाराणसी विशालाक्षी उत्तर प्रदेश के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के कणिजडित कुंडली गिरे थे।